Story behind the story

आज का दिन रिपोर्टिंग के हिसाब से अच्छा था, मतलब ये नहीं की स्टोरीज की बहुत। लेकिन कई चीजें साथ में की और सीखी। जैसे सुबह-सुबह आज के दिन की सबसे बड़ी खबर वॉलमार्ट फ्लिपकार्ट की थी तो मैं कॉमर्स मिनिस्ट्री चली गई और वहां एक रिपोर्टर की तरह हर जगह छानबीन, कौन इसपर बात करेगा। कुछ रिपोर्टर दोस्त उनके साथ अड्डा दिया और खबर का इंतजार करती रही। इस दौरान कई खबरों पर नजर रखी।

फिर प्रेस क्लब में खाना खाया, हर चीज पहली बार होती है और पत्रकार दिल्ली के प्रेस क्लब में न जाए कैसे हो सकता है। वहां से फिर कॉमर्स में। उसके बाद वहां से FSSAi जाना था। वहां आई, वही गाड़ी कैमरे के झमेले। इस बीच कई खबरों को लेकिन चर्चा हुई और एहसास हुआ। अगर इमानदारी से करें और पढ़ें लिखे तो ये प्रोफेशन कितना कुछ सिखाता है देता है हमें। 

फसाई के पास जाने के लिए कई विषय चाहिए थे। कई मुद्दों पर बातचीत थी। कुछ देर इंतजार के बाद फसाई ने बात की। शाम को खत्म होने के बाद लगा जैसे बहत कुछ सीखने को मिला। कितने तरह के विषय, कितने अलग लोग, कितने नाम, कितनी खबरें, कितने नए ठिकाने, कितना कुछ एक साथ एक दिन में हम करते हैं।  ये बहत नायाब है। हमारी असेट है। एक साथ कितना कुछ मैनेज करना पड़ता है। बस आज यही कहना था। ये प्रोफेशन सबसे अलग है। 

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