तुम मेरा रेप करो और सजा मुझे मिले, वाह क्या रीत है
तुम मेरा रेप करो और सजा भी तुम्हें नहीं मुझे ही मिले, मुझे खुदको मारना पड़े या जलाना। मतलब जिंदा रहने का हक बस तुम जैसे हैवान को है। ये रीत बड़ी अच्छी है। मैं तड़पती रहूं, पहले जिस्म के घाव से और फिर मन के घाव से। तुम खुले आम अपनी भूख कहीं फिर और जाकर मिटा लो। तुम बिंदास खुली हवा में सांस लो और मेरा दम घुटता रहे। तुम रात को चैन से सो जाओ और मैं हर रात अपने शरीर के घाव के गिनती रहूं। लो एक और बदनसीब ने अपनी जान ले ली क्योंकि उससे गलती हुई वो लड़की है और उसका रेप हुआ है।
तुम जीने की रोज नई वजह निकाल लो और मैं जिंदगी खत्म करने का कदम उठा लूं। तुम सरे आम घूमने निकल जाओ लेकिन मैं मूंह छिपाकर घर में बैठूं क्योंकि मैंने गुनाह किया है। मैं एक लड़की हूं और मेरी आबरू तो तुम्हारी जागीर है। आओ इसे नौंच लो, मैंने इसलिए सहजकर रखी है। रेप के बाद या तो रोज लड़ूं खुद से या एक दिन हारकर दम तोड़ दूं। ये रीत बन गई है या मेरी किस्मत तो यही है। इसके लिए ही मैं पैदा हुई हूं है ना दोस्तों ..
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