Story behind the story

आज मिल्क पर एक स्टोरी करने के लिए सुबह 4 बजे उठकर जाना पड़ा। अच्छा लगा, क्योंकि इस तरह के चैलेंज अच्छे लगते हैं। एक अलॊ1ग स्टोरी और अच्छी स्टोरी थी। ऐसी स्टोरी के लिए मेहनत रिसर्च सब होती है और आपको कई लोगों से बात करने का मौका मिलता है। दूध आम लोगों के जीवन का हिस्सा और ये जनता से सीधा जुड़ा मामला। अच्छा रहा शो भी गया शाम को लेकिन ....

सवाल ये रहा कि शाम को शो के बाद भी खुशी नहीं हुई, क्यों ....इसलिए क्योंकि हर कोई कुछ ना कुछ कमी निकाल रहा था। कोई कुछ कोई कुछ। हर किसी के पास शिकायत थी, अपनी गलती मुझ पर डालने की कोशिश। एसाइनमेंट, प्रोड्यूसर, आउटपुट हर कोई मुझपर आ रहा था। अरे ये नहीं किया, फ्लोर पर आकर ये कम था इसमें। ऐसा हो गया, तुमने ऐसा लिखा। जबकि मुझे पता है मैंने अच्छी स्टोरी लिखी है। यार प्रोड्यूसर जो इतने पैसे ले रहा है उसे ज्यादा पता होगा, लेकिन नहीं मैं ही सारा काम करके दूं। और अगर कोई गलती हो जाए तो सीधे अरे सुमन ने ऐसा किया ऐसा कहा। 

ऐसा लगा जैसे बेकार था सब, स्टोरी करके कोई खुशी नहीं थी। कोई मजा नहीं आया। पानी फेर देते हैं लोग। लेकिन फिर रात को खुद को समझाया ये ऐसा ही काम है। रोज कुंआं खोदो रोज पानी पियो। लेकिन अपनी खुशी मत खत्म करो। आपने बेहतर किया बस ये जरूरी चीज है। अपना बेस्ट दो। 

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