Story behind the story
आजकल मंडी की खबरें कर रही हूं, चीनी का प्रोडक्शन तेज है लेकिन कीमत के बूरे हाल, प्यांज कहीं 50 पैसे प्रति किलो तो कहीं 20 रुपए जा रहे हैं, शहर, गांव कस्वों में बिल्कुल अलग कीमत है। कोई कहता है जी हमें ट्रांसपोर्ट का खर्चा पड़ता है कोई प्रोसेसिंग और पैकेजिंग के नाम पर लूटते हैं। उत्पादन ज्यादा हो या कम हो, इस देश में खाने की चीजों की कीमतों पर कोई कंट्रोल नहीं है। साल 2017-18 में फुड प्रोडक्शन अच्छा हुआ था लेकिन फसलों की अनाजों की सब्जी की कीमतें अधिकतर आसमान पर रहती है या गिरती बढ़ती है।
खैर मैं दाल की बात करने जा रही हूं, जिस मूंग दाल की कीमत थोक में 50 रुपए है, वो कल नोएडा की एक दुकान में मैं लेने गई वहां 100 रुपए किलो थी। मैं शॉक्ड क्योंकि ये तो हद है। मैंने चार दिन पहले ही ये स्टोरी की और दिल्ली दाल एसोसिएशन से आंकड़े पता किए वहां सभी दाल इनफैक्ट होलसेल मार्केट में दाल की कीमतों में गिरावट आई है लंबे समय के बाद। लेकिन बाजार और खुले में दाल उतनी ही है। 100 के आस-पास। ओ माई गॉड डबल दाम।
मेरे पास कोई चारा नहीं था क्योंकि जब मैंने उसे बोला तो कहता है अच्छा मैम जाओ, 50 रुपए हो ही नहीं सकता। 90 भी नहीं दूंगा। बहुत ही बेकार तरह से कहा। मैं हक्की बक्की रह गई। करूं क्या। खबरें करती हूं, पत्रकार हूं, आवाज उठाती हूं, लेकिन अपनी बारी आई तो। मेरे पास सच में कुछ ऑपश्न नहीं लगा और मैंने कहा दे दो भाई। कई बार लड़ने का मन नहीं होता, कई बार क्या सुबूत दूं क्या जवाब। मैंने छोड़ दिया। मैं भी आम इंसान हूं, समझ सकती हूं वो भी मजबूर होते हैं। कहां जाएं हर जगह चोर है।
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