Story behind the story
आज कैंसर पर एक स्टोरी कर रही थी, कल वलर्ड नो टोबेको डे है। जिन्हें सिगरेट और तंबाकू के अन्य उत्पादों से कैंसर होता है। आज एक केस स्टडी करने गई। जिनको सिगरेट से कैंसर हुआ। मूंह का कैंसर। उनके बेटे से अस्पताल में बात कर रही थी। वो अपने पिता को अस्पताल में किमो कराने लेकर आया था।
कहानी इसलिए बताना जरूरूी है क्योंकि हम जब स्टोरी या खबर करने निकलते हैं तो ऐसा लगता है जैसे बस दिमाग चलता है। दिल कहीं चुपचाप कोने में बैठ जाता है। उसका कोई रोल नहीं लॉजिक के साथ हर काम करो। लेकिन दिल का क्या कसूर। वो चुप कब तक बैठेगा। जब ऐसी कोई परिस्थिति आती है तो वो तुरंत रिएक्ट करने लगता है। लेकिन कई बार सच में इमोशन कहीं गुम हो जाते हैं।
आज के केस में ऐसा लगा एक पल के लिए जैसे -पापा खूब सिगरेट पीते हैं। इन दिनों बीमार भी हैं, तो एक दम से आंखें नम हो गई, एक अजीब से ख्याल ने थर्रा दिया। बस एक पल।दूसरे ही पल उसको महसूस करने का वक्त तक नहीं मिला और मैं बस काम पर लग गई। कुछ सोचा नहीं और जैसे इमोशन तकिये में बंद हो गए। वहा रे मेरे प्रोफेशन। अच्छा भी बुरा भी
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