#Spirituality बंधन नहीं, हाथ पसारकर जिंदगी को गले लगाना है
Spirituality क्या है, क्या
किसी धर्म या संगठन के साथ जुड़े रहना, उनकी विचारधारा या उनके चिंतन को अपने जीवन
में धारन करने को आध्य़ात्म कहते हैं। या अपने अंदर झांकने और खुदसे मुलाकात करके
अपनी पहचान करने को आध्यात्म कहते हैं। अपने आप से मिलन के बाद परमात्मा से मिलन
करने को आध्यात्म कहते हैं। एक अद्भुत जर्नी है आध्यात्म। मैं ऑलरेडी मेडिटेशन
करती हूं और ध्यान य़ोग से जुड़ी हूं। आध्यात्म को किसी धर्म जाति से नहीं जोड़ती
बल्कि जीवन में उसके प्रभाव को धारन करने में यकीन रखती हूं। दरअसल, पिछले दिनों
मैं कई ऐसे संगठनों में गई जहां किसी ना किसी रूप से अपने किसी गुरु या किसी
विचारधारा द्वारा मेडिटेशन करके आध्यात्म के एहसास को महसूस किया जाता है।
मैं नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन पिछले हफ्ते मैं अपनी
अलग-अलग दो दोस्तों के घर गई और उन दोनों ने ही मुझे अपने आध्यात्म से मिलाया।
किसी ने कहा इस तहरह से Chant करो तो किसी ने
कहा कुछ ऐसे गुरु वाणी पढ़ों और परमात्मा को याद करके अपनी शक्तियां जागृत करो।
मैंने वैसा ही किया। मुझे अच्छा लगा, एक पल के लिए भी मैंने नहीं कहा कि मैं पहले
से ही आध्यात्म को अपने तरीके से फॉलो करती हूं तो आपका क्यों सुनु। इस दौरान मुझे
बस एक ही बात का एहसास हुआ कि आध्यात्म बस एक विश्वास की तरह काम करता है।
आध्यात्म आपको कभी भी बंधकर अपने आपको खुदमें समेटने को नहीं कहता है। हां आपको जो
ठीक लगे वो करो लेकिन अपनी बाहें फैलाकर दूसरों के विश्वास को सम्मान दो और उसे भी
एक बार अनुभव करो।
Chant हो, मेडिटेशन या गुरु वाणी, भजन हो या
योग-ध्यान। हर कहीं बस परमात्मा को याद किया जाता है। उसके साथ कनेक्ट और रिश्ता
बनाया जाता है। उसे महसूस किया जाता है। एक विश्वास के साथ उसके साथ को जिया जाता
है। आध्यात्म आपको बेहद के सफर में लेकर चलता है। आध्यात्म आपको दुनिया से परे ले
जाता है। आध्यात्म आपको सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। आध्यात्म आपको जीना सिखाता
है बस अपने लिए नहीं दूसरों के लिए भी। हर संगठन में यही सिखाया जाता है। सबका
मकसद बस एक है।
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