Menstrual hygiene day : जरूरत है इसे शर्म से नहीं, गर्व से जीने की
Menstrual hygiene day मतलब हम लड़कियों के लिए बहुत बड़ा दिन, क्योंकि हमें गर्व है कि हमें पीरियड्स होते हैं। हम संपूर्ण हैं। लेकिन इस दिन के बारे में ना ही कोई बात होती है ना ही कोई चर्चा। कोई और दिन होता तो सेलेब्रेशन के मैसेज्स आने लगते। इनफेक्ट अधिकतर लड़कियों से पूछा जाए कि क्या उन्हें पता है ऐसा कोई दिन भी होता है। तो वे अंजान होंगी।
चलिए अपने पुराने दिन की याद ताजा करती हूं। याद है मुझे जब पहली बार दसवीं में पीरियड्स आए थे, एकदम से रोने लगी, गांव की स्कूल में पढ़ती थी, लगा जैसे जीवन में अंधेरा हो गया। मां चाची दोनों आपस में बात करने लगी, जैसे क्या खता हो गई। सब खत्म हो गया। चाची ने बहुत समझाया और एक कोने में बिठा दिया। चार दिन तक जिदंगी ने दम तोड़ दिया। ऐसी ही हर महीने जब पीरियड्स आते थे चार दिन सब कुछ थम जाता था। क्योंकि ज्वाइंट फैमिली, चाचा दादी दादा, सबके सामने नहीं जाना, अलग बैठना, नल नहीं छूना, किचन और पूजा तो देखना नहीं। दादी खूब सुनाती थी। एक कोने में पटक देती थी। मैं बड़ी होती गई कॉलेज खत्म करके गांव से निकल गई आगे की पढाई के लिए। पीछे से बहनों की जिंदगी ऐसे ही नर्क बन गई।
बदलाव तब आया जब मैं बाहर से आई और घर के दकियानुशी नियमों की मैंने धज्जियां उड़ाई। दादी फिर भी चिल्लाती रही लेकिन मैंने नल भी छू ली और एक कोने में जाकर खाना नहीं खाया। हर किसी के सामने आई और कहा हां मुझे पीरियड्स है। आज जब सालों बाद जर्नलिस्ट बनकर अपने घर लौटती हूं, चाची चाचा दादा दादी पापा मां सब वहीं हैं। लेकिन सोच काफी बदली है। दादी नल छूने पर कुछ नहीं कहती। बस पूजा और किचन में रोक टोक है। वक्त के साथ सब बदलता है। अगर आप हिम्मत का एक कदम उठाएं और ये जानते हुए कि आप सही हैं तो सालों के कुसंस्कार का खात्मा कर सकेंगे।
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