खामोशी...

कभी आंखें ढूंढती हैं तुम्हे, तो कभी खुदसे डर लगता है..

कभी चाहती हूं सब कुछ कहना तुमसे, तो कभी खामोश रहने को दिल करता है..

कभी जी भर के देखने को मन होता है, तो कभी पल्के झुकाने अच्छा लगता है..

कभी तुम्हारे दर्द को बांटने को मन करता है, तो कभी अपना गम बड़ा लगता है...

कभी तेरे कंधे पर सिर रखते हैं तो कभी तुझसे दूरी बनाते हैं...

कभी तुझसे नाराज होते हैं तो कभी तुझपर बहुत याद प्यार आता है..

कैसा रिश्ता है तुझसे, जिसे कोई नाम नहीं दे पाती हूं मैं...

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