बंगाल में दीदी भूल गईं युवाओं को...

बंगाल में टीएमसी की जड़ें बहुत मजबूत हैं लेकिन आज चुनाव नतीजों की तस्वीरें कुछ और ही बता रही हैं..बंगाल में बीजेपी का सूर्य उदय हो चुका है..42 सीटों में से 19 सीटों पर बीजेपी आगे है..मतलब साफ है कहीं ना कहीं लेफ्ट के बाद अब बंगाल की जनता ने टीएमसी को भी किनारा करने का मन बनाया है..इसके क्या कारण हो सकते हैं..मुद्दे बहुत हैं लेकिन सबसे बड़ा मुद्दा जिससे किसी भी राज्य या देश की अर्थव्यवस्था निर्भर करती है वो है रोजगार...युवाओं को रोजगार..बंगाल इस मामले में फिसड्डी है..पिछले 5 सालों के आंकड़े देखें तो बंगाल में सरकारी नौकरी के नाम पर ठेंगा मिला है...युवा कॉलेज पास करके खाली बैठे हैं...


रियलिटी के बाद करें तो काम से ज्यादा पिछले कुछ सालों में बस गुंडागर्दी ही हुई है..रोजगार के नाम पर बस रिश्वत देकर नौकरी..एसएससी के नाम पर सिर्फ इंतजार...स्टूडेंट्स सालों तक एसएससी के कॉल का इंतजार करते हैं लेकिन उनके हाथ क्या लगता है..प्राइमरी स्कूल में नौकरी मतलब पैसों की रिश्वत..यही तस्वीर मैंने देखी है चंद सालों  से...क्योंकि मैं बंगाल से हूं और साल में दो बार जाना होता है...परिवार के कुछ लोग एसएससी की तैयारी कर रहे हैं...प्राइवेट नौकरियां शहर के अलावा कहीं है नहीं..ऐसे में वे लोग कहां जाएं..बीएड, बीकॉम, बीए, एमए किए हुए बच्चे घर पर सालों  से बैठे हैं..क्या इसका जवाब दे पाएंगी ममता..दीदी...कोलकाता में तानाशाही की हद है...एक रिक्शे वाले से लेकर सब्जीवाला जो टीएमसी से है वो बस गुंडागर्दी  करके धमकी देता है..धौंस दिखाता है....

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