Story behind the story

एक चीज जो काम करते करते रियलाइज हुई वो है कि आप जो भी काम करें, जिस फिल्ड में हों, जो काम आपको मिला है, जिसके लिए आपको पैसे मिल रहे हैं उसकी समझ जरूर रखो। मेरा मतलब है जरूरी नहीं हर इंसान हर काम सीखकर आता है या सब कुछ पहले से जानता है लेकिन काम करते करते सीख ले ये जरूरी है। 

आप पढ़ें लिखे हो या अनपड़ गंवार। कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन आपको काम आना चाहिए जो आपको दिया गया है। दरअसल, ये बात इसलिए कहना बनता है क्योंकि कल की बात है मैं कैब में बैठी शूट के लिए निकली। थोड़ी देर जाने के बाद ड्राइवर एकदम गलत ले जाने लगा, उसे रास्ते नहीं पता। मैंने पहले पूछा था कि थोड़ा बहुत पता है तो कहां हां। 40 मिनट तक इधर से उधर। खुद समझ नहीं पा रही क्या हो रहा है। चलो कहीं बहुत जल्दी पहुंचना था लेकिन दूर था बहुत। फिर भी जीपीएस ऑन किया कैमरामैन भी माशा अल्लाह।

बात ये है कि पूरे सफर में ड्राइवर बस बकवास कर रहा है, कोई गंभीरता नहीं थी। उसे लेफ्ट राइट नहीं पता, कैसे जाएं क्या पढें, रास्ते अगर बता भी दो तो भी कोई सेंस नहीं है सीधा, उल्टा आगे पीछे क्या होता है। कोई दिशा की समझ नहीं है। बस बकवाल करवा लो। उस वक्त मैंने बस एक बात आखिर में कही - कोई भी काम मिला है ना भाई तुम्हे कम से कम काम की समझ होनी चाहिए। मतलब ये की हम जिस काम की रोटी रोजी खाते हैं उतना भी ढंग से न कर पाएँ। चलो आप पढ नहीं सकते या लेकिन ड्राइविंग के तरीके तो पता है। ढंग से ड्राइविंग तो आती है। ये बहुत बड़ी हैं।

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