तस्करी पर बड़ा खुलासा! हर दिन गायब होती हैं 400 लड़कियां व बच्चे

इन दिनों लड़कियां और बच्चों की तस्करी के खूब मामले सामने आ रहे हैं। सरकार, प्रशासन और पुलिस बस बातें ही करके रह जाती है। तमाम एनजीओ इस दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन साल दर साल ये तस्करी बढ़ती ही जा रही है। अकेले अगर राजधानी दिल्ली की बात करें तो ये मानव तस्करी की गढ़ बनती जा रही है।
इन दिनों अखबारों की सुर्खियों में यही छाया हुआ दिखता है कि किसी ना किसी राज्य से लड़कियों को भूला-फुसला कर दिल्ली लाया जाता है और फिर उनसे अमानविक काम करवाया जाता है। मानव तस्करी की शिकार महिलाओं को कई तरह की यातनाओं का सामना करना पड़ता है। कोई देह व्यापार से जुड़ने पर मजबूर हो जाती हैं तो कोई अपना पेट भरने के लिए दर बदर ठोकर खाती है।
ताजा आंकड़े ये बताते हैं कि हर दिन भारत से 400 महिलाएं और बच्चे लापता होते हैं। कुछ एक का पता चल भी जाता है, लेकिन अधिकतर गुमशुदा रहते हैं। पिछले कुछ सालों में भारत में मानव तस्करी की वारदातों में 76 फीसद का इजाफा हुआ है। जैसे राजधानी को रेप की घटनाओं ने शर्मसार किया है, वैसे ही मानव तस्करी भी एक बड़ी समस्या बनकर उभर रही है। आपको बता दें कि अब तक दो लाख से ज्यादा महिलाएं और बच्चे भारत से लापता हो चुके हैं।
सबसे ज्यादा तस्कर होती हैं छोटी लड़कियां
अकेले साल 2015 के सितंबर तक 73,242 हजार महिलाएं लापता हुईं। जिनमें से 33 हजार की जानकारी मिल पाई है, लेकिन बाकियों के बारे में कुछ भी पता नहीं है। गृह मंत्रालय की ओर से भी इन आंकड़ों पर मुहर लगाई गई है। आठ दिसंबर को लोकसभा में मानव तस्करी के आंकड़ों पर चर्चा भी हुई। इन नए आंकड़ों के मुताबिक रोजाना कम से कम 270 महिलाएं लापता होती हैं। पिछले साल के मुकाबले ये आंकड़ें बढ़ते ही जा रहे हैं। साल 2015 तक भारत में लापता हुई जिन महिलाओं के बारे में कुछ पता नहीं चल पाया है उनकी संख्या 1 लाख 35 हजार से ज्यादा है।
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बच्चों की बदहाल स्थिति
बच्चों की स्थिति भी ऐसी ही है। उन्हें अलग -अलग राज्यों से काम के बहाने या पैसों का लालच देकर शहर लाया जाता है और फिर उनके साथ भी कुछ ना कुछ गलत हरकत होती हैं। इस साल सितंबर तक 35 हजार 618 बच्चे लापता हुए हैं। एक दिन में भारत में 130 बच्चे लापता होते हैं। 19 हजार बच्चों की जानकारी मिली है, लेकिन पिछले साल से अब तक के आंकड़ों में अगर देखें तो 61 हजार अब तक लापता हैं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, पूरे भारत में होने वाली तस्करी में छोटी लड़कियों की तस्करी सबसे ज्यादा होती है। 76 फीसद मामले बच्चियों के आते हैं।
एनजीओ शक्ति वाहिनी के मुताबिक गरीबी, शिक्षा की कमी और पारिवारिक माहौल के चलते उन्हें मजबूर होना पड़ता है। मानव तस्करी करने वाले गुट बच्चे और लडकियों को काम के बहाने या फिर पैसों का लालत देकर शहर लाते हैं और फिर उन्हें गंदे काम में धकेल देते हैं। वे चाहकर भी उस दल दल से निकल नहीं पाती हैं।
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तस्कर विरोधी कानून में चाहिए बदलाव
शक्ति वाहिनी के अध्यक्ष रवि कांत बताते हैं कि इन दिनों शहरों में सेक्स वर्कस की बढ़ती मांग की वजह से ही ये तस्करी बढ़ रही है। उनकी मानना है कि भले ही सरकार जितनी भी मुहिम चला ले, लेकिन जब तक एंटी ट्रैफेकिंग के नियमों में बदलाव नहीं होता है तब तक इसपर लगाम लगाना मुश्किल है।
उनका मानना है कि कानून व्यवस्था में भी कहीं ना कहीं कोई कमी है। मानव तस्करी करके इन लड़कियों को सेक्स वर्कर के काम में लगा दिया जाता है, बच्चों को भी बाल शोषण और चाइल्ड लेबर से जोड़ दिया जाता है। उन्हें दुकानों में, कारखाना और फैक्ट्री में काम में लगाया जाता है। जहरीले पदार्थ बनाना और बम विस्फोटक की सामग्री बनाने के काम में भी इन्हें लगा दिया जाता है।
मजबूरी में करते हैं ये काम
जब लड़कियों को बहला फुसला कर काम के बहाने से शहर लाया जाता है, तब उन्हें पता नहीं होता कि उनके साथ क्या होने वाला है। वे इस दुनिया के कड़वे सच से अंजान रहती हैं। लेकिन जैसे ही उन्हें काली अंधेरी दुनिया में धकेल दिया जाता है, वे धड़पड़ा उठती हैं। भागना चाहती हैं, लेकिन तब तक बहुत देर हो जाती है। या तो वे उस दल-दल में फंस जाती है या फिर निकलने का रास्ता नहीं निकाल पाती हैं।
महाराष्ट्र है अव्वल 
साल 2014 में महिलाओं की तस्करी मामले में महाराष्ट्र सबसे अव्वल है। उसके बाद पश्चिम बंगाल का कोलकाता, मध्यप्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक का नाम आता है।

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