सागर की लहरें....

साहिल से सिर टकराते दीवाने सागर सुन,
इक पगली बड़ी देर से तुझको दे रही सदा
पूछती है, जब नम हैं आंखें मेरी एक उम्र से
तू क्यों बौराया, पीटता है अपनी छाती हर शाम,
नहीं लौटते, फिर मिलने का वादा करने वाले.....














नहीं लौटते होंगे लौटने वाले,मगर वो पगली जरूर लौटेगी सागर के पास, अगर जीते जी जिस्म के साथ नहीं तो मरने के बाद राख बनकर लहरों के साथ बहते हुए उसे सागर तक आना होगा, तुझे इस कदर खारा बना दिया है उसने अपने आंसूओं से .....इस गुस्ताखी की मुआफी तो मांगनी ही है ना...




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