मैं जिंदा हूं....

जब तक आप में बेताबी पैदा होती है, तब तक आप जिंदा हैं...इन्सान कहता तो है कि एक गम के बाद उसे कुछ समझ नहीं आता,
वह पत्थर हो गया है, उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता, जिंद्गी में सब खत्म हो गया है, लेकिन असल में ऐसा कुछ नहीं होता है।
कोई भी गम या दुख आपकी जिंदगी की गति को रोक नहीं सकता है। इसे निरंतर चलते रहना है।
हां कुछ पल के लिए हम उस दर्द के साये के साथ चलते रहते हैं और हमें उस दर्द को महसूस करना अच्छा लगता है।
मुझे लगता है कि अगर वह एहसास मुझमें बाकी है तो मतलब मैं जिंदा हूं।
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