भुला देना...

भले ही तुम भूल जाना एक बुरा ख्वाब समझकर हमें, तुम्हारी तस्वीर तो आंखों में बसी है...

भले ही तुमने फाड़ देना जीवन की किताब से पन्ना हमारा, तुम्हारी यादें तो सांसों में सजी है...

भले ही तुम खुश हो जाना किसी और के सपने सजाकर,हमारे गम के अंधेरों में तो पहरा है तुम्हारा..

भले ही तुमने कर दी अपनी सुबह-शाम किसी और के हवाले, हमारे तो दिन रात पर शाया है तुम्हारा..

भले ही हम अब तुम्हारे जख्मों की दवा और दुआ नहीं, लेकिन हमारे दर्द में तो राहत आज भी तुम्ही हो....

भले  ही तुम्हारे लिए दोस्ती से ज्यादा बड़ी है गलती हमारी, लेकिन मेरी खामियों से ही अब तक बंधी थी डोर हमारी...





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