आतंक का चेहरा बना IS, डर के साये से जूझता दिखा साल 2015
आतंकवाद से विश्व का नाता बहुत ही पुराना है, लेकिन पिछले कुछ सालों में आतंकवाद ने जिस तरह से दुनियाभर में अपने पैर पसारे हैं और आतंक का दायरा बढ़ा है, उसके बाद ये कहना मुश्किल है कि आतंक के खात्मे के लिए कैसे मापदंड की आवश्यकता है। कुछ महीनों पहले पेरिस आतंकी हमले के बाद जी-20 के समिट में भी आतंकवाद ही मुख्य मुद्दा बना रहा। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से लेकर पश्चिमी देशों को कई बड़े नेताओं ने आतंकवाद से मिलकर लड़ने की दुहाई दी, लेकिन फिर भी आतंकवाद साल 2015 में ज्यादा सिर चढ़कर बोला।
पहले आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर था, लेकिन पिछले एक साल में आतंक ने अलग-अलग रूप में भारत में भी पैर पसारा है। एक साल में भारत में हुए छोटे-बडे़ आतंकी हमलों ने कई तरह के सवाल पैदा कर दिए। देश की आर्थिक स्थिति, आतंक को बढ़ावा देने के पीछे किसका हाथ है। कौन से मुल्क को निशाना बनाकर हमले किए जा रहे हैं। आखिर आतंकियों का मकसद क्या है, क्यों मासूमों की जान से खेल रहे हैं।
आतंकवाद के बारे में सोचते ही सबसे पहला नाम आतंकी संगठन आईएस का आता है, जिसने इन दिनों सभी शक्तिशाली राष्ट्र के नाक में दम कर रखा है। आए दिन इस्लामिक स्टेट के आतंकी हमले कर रहे हैं, युवाओं को अपने गुट में शामिल करने की कवायद चला रहे हैं। हाल ही में लगातार खबरें आईं कि आईएस ने भारत के कई शहरों से युवाओं को संगठन में शामिल होने का लालच दिया और कई युवाओं को तो इस मकसद की ओर बढ़ते हुए गिरफ्तार भी किया गया।
आईएस का जन्म कैसे
इस्लामिक स्टेट एक आतंकी संगठन है और इन दिनों सुर्खियों में है। ये संगठन अल कायदा से अलग है। पहले आतंक के नाम पर लोग अल-कायदा से डरते थे, लेकिन अब हर आतंकी हमले के पीछे आईएस जिम्मेदार होते हैं। भारत से कई आतंकियों को पकड़ा गया है। सीरिया और इराक में निष्फल सरकारों से निपटने के लिए इस संगठन का जन्म हुआ है। अधिकारों के लिए लड़ने वाला ये संगठन अब खूंखार हो गया है। आईएस के झंडे पर लिख है, ‘मुहम्मद अल्लाह के रसूल है, अल्लाह के अलावा कोई दूसरा खुदा नहीं है’। खुद को इस्लाम का प्रचारक कहने वाला आईएस विरोधियों लोगों की जान लेने में लगा है।
कहां है आईएस का दबदबा
सीरिया और ईराक के कई इलाकों में आईएस सक्रिय रूप से काम करता है, लेकिन साल 2015 में आईएस ने अपना दायरा बहुत बढ़ा लिया है। आईएस चाहता है कि वो इस्लाम का आधिपत्य स्थापित कर दे। इसलिए कश्मीर में भी अधिकार जमाने की मुहिम छेड़े हुए है। हर शुक्रवार यानी जुम्मे बार के दिन आईएस अपना झंडा मस्जिद के बाहर लहराता है और आईएस के नारे भी लगाता है।
दूसरे आतंकी संगठनों से अलग है आईएस
विश्व में आतंक फैलाने वाले दूसरे आतंकी संगठनों से आईएस अलग है। आईएस युवाओं को अपनी गैंग में शामिल करने का प्रयास करता है। आईएस जात-संप्रदाय, लिंग कुछ नहीं देखता। वो इंसानियत को तार-तार कर देता है। बोको हराम, इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठन बड़ी तैयारी के साथ हमला करते हैं, लेकिन आईएस कभी भी हमला करते हैं। सेक्स और लड़कियों को अपना हथियार बनाकर खूंखार रूप धारण करते हैं। इस्लामिक स्टेट विश्व के लिए आज की सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभर कर आ रहा है।
विश्व भर से जुड़े लोग, बने आईएस समर्थक
विश्व भर से लोग आईएस की गतिविधियां और विचारधाराओं से जुड़े हैं। आईसीएसआर के आंकड़ों के मुताबिक अलग-अलग देशों से 20 हजार से ज्यादा लोग आईएस से जुड़े हैं। 4 हजार से ज्यादा पश्चिमी यूरोप और बाकी अमेरिका से हैं। ऐसा नहीं है कि भारत से लोग आईएस के समर्थक नहीं बने हैं, लेकिन वे लंबे समय तक इस अभियान के साथ नहीं जुड़े रहते हैं। नाइजीरिया, ईराक, ईरान, पाकिस्तान, तालिबान और अरब देशों के लोग भी आईएस में शामिल हैं।
मॉडर्न हो रहे हैं आईएस
दिन पर दिन आईएस आधुनिक हो रहे हैं। पहले सेक्स, लड़की और चाकू को अपना हथियार बनाते थे, लेकिन इन दिनों आईएस अपनी जंग छेड़ने और आतंक का दायरा बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। उसे अपना जरिया बना रहे हैं। साल 2015 के दौरान आईएस ने सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने की पूरी कोशिश की। मुंबई, केरल, हैदराबाद और पुणे से कई युवा आईएस से जुड़ने के लिए सीरिया तक जा पहुंचे। चंद रोज पहले सोशल मीडिया के जरिए आईएस के लिए युवाओं की भर्ती कराने वाली एक आंतकी गिरफ्तार की गई।
विश्वभर में छिड़ी बहस, मिलकर खात्मा करेंगे
विश्व भर में आतंकवाद पर बहस छिड़ी है, लेकिन इसे खात्मे के लिए कोई पूख्ता कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। जी-20 समिट में भी आतंकवाद पर बात हुई। चंद रोज पहले पेरिस अटैक के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आईएस को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा था कि अमेरिका आईएस का खात्मा करके रहेगा। इधर, मोदी सरकार ने भी कई बार कहा है कि पश्चिमी देशों को साथ मिलकर आईएस के खिलाफ लड़ना होगा।
2016 में भारत के लिए चेतावनी, बड़ा खतरा
साल 2016 में भारत पर आतंकी साया मंडरा सकता है। जिस तरह से आईएस अपने पैर पसार रहा है और इसी साल संगठन ने कई बार दिल्ली समेत कई और शहरों में आतंकी हमले की चेतावनी दी है। इससे लगता है कि साल 2016 काफी सतर्क रहने वाला है। देश की बढ़ती आर्थिक स्थिति और कई विकासशीलता को देखते हुए आईएस भारत को निशाना बनाने की योजना बना रहा है। विशेषज्ञों ने भी इस बात पर जोर दिया है कि भारत में बड़ा आतंकी हमला हो सकता है। आईएस से लड़ना भारत के लिए बड़ी चुनौती है। खुफिया एजेंसी द्वारा दर्ज की गई एक रिपोर्ट बताती है कि भारत को आतंक का सामना करना पड़ेगा लेकिन ये इतना आसान नहीं होगा। भारत में कभी भी 26/11 जैसा आतंकी हमला कत्ले आम हो सकता है।
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