केस हुआ, सजा मिली, तमाशा बना और फिर फिल्म बनी…अब क्या ?

नोएडा की चर्चित मर्डर मिस्ट्री आरूषि हत्याकांड पर बनी फिल्म तलवार आज रिलीज हो रही है। फिल्म रिलीज से पहले हमने तलवार दंपती के घर जलवायु विहार का मुआयना किया।
वहां के लोगों ने इस केस में आते उतार-चढ़ाव को करीब से देखा है। आज जब इसपर फिल्म बनने जा रही है तो उनमें इस बात को जानने की ललक जाग उठी है कि आखिर ये फिल्म उस सच को कितना उजागर कर पाएगी।
खून हुआ, तमाशा बना, सजा मिली, फिल्म बनी अब क्या ?
हालांकि वे इस फिल्म से बहुत ज्यादा उम्मीदें लेकर नहीं बैठे हैं। उनकी नजर में पहले कत्ल हुआ, मीडिया आई, तमाशा बना, दर्द हुआ, सजा मिली और फिल्म बन गई। कहानी खत्म हो गई और हो जाएगी।
कोई इसके बाद कुछ नहीं कहेगा और ना ही कुछ करेगा। आज तक नहीं समझ आ रहा है कि हुआ क्या। किसके साथ न्याय हुआ और किसके साथ अन्याय। बच्ची को खोने का दर्द तो था ही दिल में और फिर सजा भी मिल गई। ये सजा कितनी न्यायपूर्ण है ये कहना मुश्किल है।
साल 2008 में नोएडा सेक्टर 25 के जलवायु बिहार में हुए दोहरे हत्याकांड ने पूरे देश को हिला दिया था। 13 साल की बच्ची आरूषि तलवार की मर्डर मिस्ट्री ऐसी मिस्ट्री है जो सजा का ऐलान होने के बाद भी अनसुलझी सी लगती है। किसी माता-पिता के हाथों अपनी ही बच्ची का कत्ल हो जाना, इस सच पर यकीन करना बहुत ही मुश्किल है।
साल 2013 में आरूषि के माता-पिता को उनकी ही बेटी की हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा दे दी गई। सीबीआई ने अपनी जांच बंद कर दी। लोगों को भी यही लगा कि केस खत्म हो गया। दोषियों को सजा मिल गई, कहानी खत्म। मीडिया शांत हो गई। खबरें बनना बंद हो गई।
साल 2008 से साल 2013 तक ये केस मीडिया की सूर्खियों में रहा। लेकिन जैसे ही सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट सौंपी और स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने तमाम सबूतों के आधार पर 13 साल की बच्ची आरूषि के हत्या मामले में उसके माता-पिता को सजा सुना दी। उस दिन से अब तक ये केस ठंडे बस्ते में पड़ा था।
किसी कभी ये जानने की कोशिश नहीं कि आखिर इस केस में कितना न्याय हुआ है। तलवार दंपती ने आरोप लगाए कि इस केस में नोएडा पुलिस और सीबीआई ने कोताही बरती है। इस साल इस सच्ची कहानी पर एक किताब लिखी गई और अब कल फिल्म तलवार रिलीज होने जा रही है।
आईए हम उसी फिल्म से जुड़े कुछ तत्थों पर बात करते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि क्या ये फिल्म इस कहानी के सच से जनता को रू-ब-रू करा पाएगी। क्या ये फिल्म इस केस पर कोई प्रभाव डालेगी।
निरपेक्ष रूप से सच को दर्शा पाएगी फिल्म
ट्रैजेडी के साथ-साथ फिल्म में रहस्य भी है। फिल्म की निर्देशक मेघना गुलजार से बातचीत में उन्होंने कहा कि फिल्म को निरपेक्ष रूप से जनता के सामने पेश करना ही अपने आप में एक बड़ा चैलेंज है। जब हम फिल्म पर काम कर रहे थे, हम हर छोटे बड़े पहलू पर काम कर रहे थे। हमें दर्द हो रहा था, लेकिन उस बहाव में आकर हम सच को नजरअंदाज नहीं कर सकते थे। क्या सही में ऐसा होगा। क्या फिल्म ने उस सच को उजागर करने की कोशिश की होगी जो शायद सीबीआई के आगे दब गया।
कुछ नए राज खोलेगी फिल्म 
क्या ये फिल्म कुछ नए राज खोल पाएगी। जब कोई भी सच्ची कहानी पर्दे पर उतरकर आती है तो उसे देखने और समझने का नजरिया बदल जाता है। क्या इस फिल्म को देखने के बाद इस केस को लेकर कुछ नए तत्थ सामने आएंगे। क्या सीबीआई इस केस के बारे में एक बार फिर सोचेगी।
नूपुर-राजेश तलवार ने देखा है ट्रेलर
आरूषि के माता-पिता ने जेल के भीतर ही फिल्म का ट्रेलर देखा है। क्या फिल्म देखने के बाद उनके दिलो दिमाग पर इसका कुछ असर होगा। ये फिल्म अपने आप में कई सवाल छोड़ेगी। क्या सीबीआई की नींद खुलेगी। क्या सुप्रीम कोर्ट नूपुर और राजेश तलवार की अपील पर सुनवाई शुरू होगी।
क्या खुल जाएगा फिर से केस
तलवार दंपती ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील दायर की है। लेकिन अब तक केस की सुनवाई का नंबर ही नहीं आया है। दंपती को उम्मीद है कि फिल्म रिलीज होने के बाद शायद इस केस पर दोबारा काम शुरू होगा। शायद सीबीआई की आंख खुले और हमें न्याय मिले।

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