...फिर जाग उठा मां का दर्द, इंसाफ के लिए पथराई आंखें

तीन साल बीत गए लेकिन आज भी उस मां के आंखों के आंसू नहीं सूखे, उसका दर्द कम नहीं हुआ। उसे इंसाफ नहीं मिला। जी हां, हम बात कर रहे हैं दिल्ली गैंगरेप पीड़िता निर्भया की मां की। जो पिछले तीन साल से बस अपने बेटी के गुनाहगारों को सजा दिलाने और उसे इंसाफ की आस में जिंदा है।
उस मां के दिल में कई सवाल है। तीन साल बाद भी एक मां की कशमकश खत्म नहीं हुई है। कल निर्भया गैंगरेप को तीन साल हो जाएंगे। एक बार फिर उस मां का दिल दहल उठा है, एक बार फिर वो इंसाफ की गुहार लगाती नजर आ रही है। लेकिन इस बार उस मां के गले में जोर है, उसमें इतनी ताकत है कि वो सरकार पर सत्ता में बैठे उन नौकरशाहों पर ऊंगली उठा सके। जो आज तक एक निर्भया को इंसाफ दिलाने में नाकाम रहे हैं वो पिछले तीन साल से इस दर्द का शिकार हो रही है दूसरी निर्भयाओं को क्या न्याय दिलाएंगे।
16 दिसंबर से एक दिन पहले निर्भया की मां ने सत्ताधारियों से पूछा, ‘क्यों वे बलात्कार पर अपनी गंदी राजनीति बंद नहीं करते। क्यों वे बस हर एक घटना के बाद एक दूसरे को दोषारोप करते रहते हैं।
जब निर्भया के साथ ये सब हुआ उस वक्त शायद हमारा कानून इतना मजबूत नहीं था, लेकिन आज क्या हुआ। पिछले तीन सालों में लड़कियों के साथ रेप की घटनाएं खूब बढ़ी हैं, रोजाना उनकी अस्मिता के साथ खिलवाड़ हो रहा है। लेकिन सरकार चुप बैठी है। बस राजनीति ही कर रही है। मैं चाहती हूं कम से कम रेप का राजनीतिकरण ना हो।
मुझे नाबालिग को रिहा करने के फैसले से कोई दुख नहीं होता, लेकिन मुझे आज के हालातों से नाराजगी है। कानून व्यवस्था इतनी मजबूत होने के बाद भी सरकार कुछ नहीं करती है। लड़कियों की अस्मिता के साथ खिलवाड़ करने वाले खुले आम घूम रहे हैं और हम बस कैंडल मार्च करते हैं। जो खो दिया है वो तो वापस नहीं आएगा, लेकिन जो बचा है उसे संजोकर रखें, ये हमारा कर्तव्य है। हमें हर मां के आंसूओं की कीमत चुकानी होगी। महिलाओं और बच्चियों के साथ हो रहे बलात्कार पर राजनीति ना हो।

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