कहीं साइबर अटैक तो नहीं ग्रिड फेलहोने का कारण?
नई दिल्ली। पिछले दिनों उत्तर व पूर्वी भारत में आए बिजली संकट ने आधे इंडिया को अंधेरे में डुबो दिया था। तीन पावर ग्रिड के फेल हो जाने को ही इस बिजली संकट का मुख्य कारण बताया जा रहा है, लेकिन क्या किसी ने इसके अलावा किसी और दिशा की ओर अपना रुख किया है। कहीं यह पावर अटैक किसी देश का साइबर हमला तो नहीं।

हालांकि अब तक केंद्र सरकार ने कुछ राज्यों को ग्रिड फेल होने का जिम्मेदार ठहराया है। जिन राज्यों ने अधिक पावर का अधिक इस्तेमाल किया है,लेकिन ग्रिड के फेल होने के हालात कुछ और कहानी भी बयां कर रहे है। ग्रिड के ऑटोमैटिक साइबर सिस्टम पर किसी साइबर हमले की आशंका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ग्रिड के फेल होने और उस पर साइबर हमले की आशंका के आधार को समझने के लिए देश में पॉवर ट्रांसमिशन के नेटवर्क को जानना भी जरूरी हो गया है।
गौरतलब है कि भारत में बिजली को पावर हाउस से आम घरों तक पहुंचाने के लिए पांच ग्रिडों का इस्तेमाल किया जाता है। यह ग्रिड देश के अलग-अलग हिस्सों में बिजली के वितरण को नियंत्रित करते हैं। और यह ग्रिड एओक सॉफ्टवेयर के जरिए काम करते हैं। हर ग्रिड का अपना अलग सॉफ्टवेयर होता है।
साइबर एक्सपर्ट्स मानते हैं कि कंप्यूटर संचालित होने की वजह से इस डिवाइस को हैक करना नामुमकिन नहीं है। देश के पांचों ग्रिड पर नजर रखने के लिए दिल्ली में एक नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर भी बनाया गया है। ये देश के अलग-अलग हिस्सों में की जा रही बिजली सप्लाई का पल-पल का ब्यौरा रखता है। ऐसे में सवाल ये भी है कि जब राज्य ज्यादा पावर ओवरड्रॉ कर रहे थे तो नेशनल डिस्पैच सेंटर ने उन्हें रोका क्यों नहीं।
पहले भी विदेश मंत्रालय के कंप्यूटर चाइनीज साइबर अटैक का शिकार हो चुके हैं। इतना ही नहीं 8 जून, 2012 को अमेरिका ने इसी तरह ईरान पर हमला कर उसके पॉवर ग्रिड को पंगु बना दिया था। हालांकि सरकार फिलहाल पड़ताल के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की बात कह रही है।
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