आर्मस्ट्रांग का छोटा कदम बना ऐतिहासिक लम्हा...



वाशिंगटन। जब मानव जाति ने पहली बार आग का आविष्कार किया था उस वक्त उस लम्हे को कैद नहीं किया गया था, जब राइट ब्रदर्स ने साबित किया कि मनुष्य भी उड़ सकता है, चंद लोग ही उस जीत के साक्षी बन पाए थे, लेकिन जब मानव ने चांद पर अपना पहला कदम रखा तो पूरी दुनिया ने इस दृश्य को ब्लैक एंड व्हाइट पर्दे से देखा और इस ऐतिहासिक लम्हे को यादगार बनाया। 20 जुलाई,1969 पहली बार नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर अपना कदम रखा था।

मनुष्य के लिए भले ही यह एक छोटा कदम था, लेकिन पूरी मानव जाति के लिए यह एक बड़ी और एतिहासिक जीत साबित हुई। नील आर्मस्ट्रांग की यह जीत हर पीढ़ी के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के लिए एक प्रेरणा की कड़ी बन गई है। आने वाली पीढिय़ां भी अमेरिकी अपोलो-11 अभियान का हिस्सा रहे अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग बज्ज एल्ड्रिन और माइकल कॉलिंस से प्ररेणा लेती रहेंगी।
जर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के स्पेस पालिसी के अध्यापक जॉन लॉग्सडन ने कहा कि अगर मनुष्य यह कर सकता है तो वह कुछ भी कर सकता है। नील आर्मस्ट्रांग ने अपनी उपलब्धियों से न सिर्फ अमेरिका को  बल्कि सारी दुनिया को नई उड़ान दी थी।

गौरतलब है कि 20 जुलाई,1969 को जब मानव ने चंद्रमा की सतह पर पहला अपना पहल कदम रखा था उस समय अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की उम्र महज सात साल ही थी।

चांद पर अपना पहला कदम रखने वाले पूर्व अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग का रविवार को निधन हो गया। नील आर्मस्ट्रांग 82 साल के थे।

दो दिन पहले ही उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी। वह अमेरिका के नासा द्वारा चंद्रमा पर भेजे गए अपोलो-11 मिशन के पहले कमांडर थे। 20 जुलाई 1969 को वह दुनिया के पहले ऐसे आदमी बने जिन्होंने चांद पर अपना पहला कदम जमाया। यह मिशन उनके करियर का भी आखिरी मिशन था।

गौरतलब है कि नौसेना में एक चालक के तौर पर काम करने के बाद नील आर्मस्ट्रांग ने एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। उन्होंने नासा के एक शोध परियोजना के साथ काम करना शुरू कर दिया था।

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