एक बार फिर रामलीला मैदान...


नई दिल्ली। एक बार फिर काले धन व भ्रष्टाचार के खिलाफ योगगुरु बाबा रामदेव मैदान में उतरने को तैयार हैं। 14 महीने पहले 4 जून 2011 में बाबा ने इसी मैदान में सरकार के खिलाफ हल्ला बोला था, लेकिन आंदोलन का अंजाम दिल्ली पुलिस की बर्बरता के साथ खत्म हुआ था। हालांकि इस बार बाबा रामदेव रामलीला मैदान में अनशन करेंगे या आंदोलन यह अब तक साफ नहीं हो पाया है। 
उनकी बातों से कहीं ना कहीं यह तो स्पष्ट होता है कि 4 जून 2011 में हुए हादसे के बाद सरकार के प्रति बाबा का रूख काफी हद तक नरम हो गया है। तभी बाबा बार-बार यहीं कह रहे है कि उनका आंदोलन सरकार के खिलाफ नहीं है बल्कि काले धन वापसी व भ्रष्टचार के खिलाफ हैं। ऐसे में बाबा यू टर्न लेते हुए नजर आ रहे हैं। 

माना जा रहा है कि रामदेव के रुख में नरमी यूं ही नहीं आई है बल्कि इसके पीछे कहीं न कहीं चौदह माह पहले रामलीला मैदान का वह घटनाक्रम है जिसकी वजह से रामदेव को अपनी पहचान छिपा कर रातों रात भागना पड़ा था। 

वहीं सवाल यह भी उठ रहे है कि पहले की तरह इस बार भी बाबा का आंदोलन बीच में ही खत्म न हो जाएं। बाबा के आंदोलन का अंजाम भी कहीं अन्ना हजारे के आंदोलन जैसा ना हो जाएं। इस संदर्भ में लालू यादव ने बाबा पर निशाना साधते हुए कहा कि बाबा सिर्फ अपने योग पर ही ध्यान दें तो ज्यादा बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि जैसे पुलिस के डर से अन्ना हजारे भाग गए वैसे ही बाबा के आंदोलन का अंजाम भी राजनीतिक मोर्चे पर आकर खत्म हो जाएगा। 

सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या सरकार बाबा की मांगों के आगे झुकेगी या अन्ना हजारे जैसे बाबा को भी निराश होकर ही वापस जाना पड़ेगा। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन एक बात तो साफ है कि अन्ना आंदोलन के इस तरह से समाप्ति के तुरंत बाद ही बाबा के लिए उनके आंदोलन को सफल बनाना एक बड़ी चुनौती बन गया है। 

गौरतलब है कि अन्ना आंदोलन के दौैरान बाबा ने कहा था कि कोई भी जन आंदोलन जनता के बगैर नहीं हो सकता,किसी भी आंदोलन को सफल बनाने के लिए कम से कम एक तिहाई लोगों का समर्थन चाहिए होता है। अब देखना यह है कि बाबा के आंदोलन को लोगों का कितना सहयोग मिलता है। 

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