सुलगते पंजाब के पीछे कहीं पाकिस्तान का हाथ तो नहीं...

पंजाब पिछले एक हफ्ते से बदले की आग में जल रहा है। पंजाब के कई शहरों में पिछले कुछ दिनों से जारी पत्थरबाजी, नारेबाजी, बंद और कर्फ्यू ने ऐसा माहौल पैदा कर दिया है जो साल 1984 की याद दिलाता है। खुफिया एजेंसियां बता रही है कि पंजाब में बढ़ती हिंसा के पीछे पाकिस्तान का हाथ है।
एजेंसियों के इनपुट से संकेत मिल रहे हैं कि पाकिस्तान पंजाब में आतंकवाद को जिंदा करने की फिराक में है। चंद महीने पहले जब पंजाब के गुरदासपुर में आतंकी हमला हुआ था तब भी यही सवाल तेज हो गए थे कि पाकिस्तान पंजाब में खालिस्तान आंदोलन को हवा दे रहा है। एक बार फिर इसी बात पर जोर दिया जा रहा है कि पंजाब में धर्म के नाम पर भड़की हिंसा को सुलगाने में आतंकी संगठन आईएस का हाथ है। यही नहीं, सूत्र बता रहे हैं कि इस हिंसा को भड़काने के पीछे विदेशी पैसा लगा है।
क्यों भड़की हिंसा
पंजाब के कई इलाकों में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की कथित बेअदबी के मामले को लेकर हिंसा भड़की हुई है। फरीदकोट जिले में कोट कपूरा के पास के एक गांव में 12 अक्टूबर को गुरुद्वारे के पास के इलाके में पवित्र पुस्तक ‘बीर’ के 100 से अधिक पन्ने फटे और बिखरे हुए पाए गए थे। इस मामले को लेकर सिखों का गुस्सा उफान पर था। जून में गुरुद्वारे से इस पुस्तक की चोरी हो गई थी।
जल रहा पंजाब
इस बेअदबी को लेकर सिखों ने विरोध प्रदर्शन किया। कई इलाकों में पथराव किए। उधर, फरीदकोट के कोटकपूरा में पुलिस ने भीड़ पर फायरिंग कर दी। इस हवाई फायरिंग में दो सिख संगतों की मौत हो गई जबकि दर्जनों घायल हो गए।
इस मौत ने सिख समुदाय के गुस्से की आग को और भड़का दिया। इसके बाद हाईवे-पुलों को जाम करने, दुकाने बंद कराने का सिलसिला चल पड़ा। प्रदर्शनकारी पवित्र पुस्तक की बेअदबी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे। इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
एजेंसियों ने किया था अलर्ट
खुफिया एजेंसियों ने करीब 15 दिन पहले ही राज्य सरकार को सुरक्षा बढ़ाने का अलर्ट भेजा था। जानकारी के मुताबिक राज्य के एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर ने 1 अक्टूबर को ही सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों को चिट्ठी लिखकर सर्तक रहने को कहा था। इस मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने भी इस बात के संकेत दिए हैं कि इस पूरी वारदात के पीछे विदेशी आतंकी संगठन का हाथ है और इसमें विदेशी पैसा लगा है।
एडीजीपी आईपीएस सहोता ने कहा कि इस मामले में जिन दो भाईयों को गिरफ्तार किया गया है उनमें से एक ने ऑस्ट्रेलिया में किसी से पैसों के लेनदेन की बात की थी।
पहले भी जला था पंजाब
आपको बता दें कि इससे पहले 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में भारतीय सेना की कार्रवाई में कई सिखों की मौत हुई थी। खालिस्तान की मांग कर रहे भिंडरावाले की मौत भी इसी कार्रवाई में हुई थी।
तनाव जारी, अर्धसैनिक बल तैनात
सेना ने अमृतसर में फ्लैग मार्च भी किया। राज्य के कई शहरों में जैसा जालंधन, लुधियाना और अमृतसर में अर्धसैनिक बल तैनात की गई है। बीते दिनों मुख्यमंत्री राज्य में शांति और सुरक्षा बहाल करने के लिए इमरजेंसी बैठक भी बुलाई थी।
हिंसा के पीछे कौन
सरकार अभी स्पष्ट नहीं कर पाई है कि आखिर इस हिंसा के पीछे है कौन। सूत्र बता रहे हैं कि कुछ सरकारी और कुछ बेसरकारी संगठन, कुछ धार्मिक संगठन मिलकर इस हिंसा को हवा दे रहे हैं।
खालिस्तान आंदोलन को जिंदा करने की साजिश
इससे पहले भी कई बार ऐसे संकेत मिले हैं कि पंजाब पर आतंक का साया मंडरा रहा है। पंजाब में फिर से आतंकवाद जिंदा हो रहा है। पाकिस्तान और आईएस मिलकर फंडिंग कर रहे हैं ताकि पंजाब में खालिस्तान आंदोलन को हवा मिल सके।
क्या है खालिस्तान आंदोलन
साल 1980 के दशक में सिखों के लिए अलग खालिस्तान की मांग उठी थी और जरनैल सिंह भिंडरांवाले के नेतृत्व में खालिस्तान आंदोलन परवान पर चढ़ा था। पूरे पंजाब में आंतकवादी गतिविधियां चरम पर थीं। 1984 में स्वर्ण मंदिर से आतंकियों को हटाने के नाम पर सेना की कार्रवाई ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद खालिस्तान का आंदोलन और भड़का और आतंकियों ने 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या कर दी थी। जिसके बाद देश भर में भयानक दंगे फैले। खालिस्तान मतलब एक अलग राज्य की मांग, जिसमें धर्म के आधार पर लोगों को रहने की जगह मिलेगी। जिससे देश में और भी दंगे फैलेंगे।

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