पंजाब : 5 महीने में दो बड़े आतंकी हमले, पाक आतंक से जुड़े हैं तार
पांच महीने के भीतर पंजाब में दो आतंकी हमले हुए। पहला अगस्त में पंजाब के उधमपुर में बड़े आतंकी हमले ने अंजाम लिया और फिर साल 2016 के पहले दिन ही पठानकोट एयरबेस में आतंकी हमला हुआ। जांच के दौरान पाया गया था कि पहला आतंकी हमला भी पाक की ओर से हुआ था और इस बार भी कुछ ऐसे ही सबूत मिल रहे हैं।
रक्षा विशेषज्ञ इस हमले के बाद फिर से पाक की कुटनीति पर शक कर रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों ने तो सीधे तौर पर कह दिया कि पाक भारत की सीमा को निशाना बनाकर दोबारा यहां आतंकवाद जिंदा करने की कवायद रच रहा है। प्रफुल्ल बख्शी ने कहा कि पाक की शह पर ही ये हमला हुआ है।
सुरक्षा एजेंसियों ने कहा कि इस हमले के तार भी पाक से जुड़े नजर आ रहे हैं। ये एक आत्मघाती हमला बताया जा रहा है। एजेंसियां बता रही हैं कि कई फिदायीन आतंकी लंबे समय से ही जम्मू कश्मीर की सीमा पर घुसपैठ की फिराक में हैं और इस हमले की तैयारी में हैं।
एसेंजियों के हाथ सबूत लगें हैं कि पाक पंजाब में आतंकवाद की आड़ में खालिस्तान आंदोलन को जिंदा करने की कवायद कर रहा है। पाक से ही आतंकियों के लिए फंड आता है। इन दोनों हमले के तार आईएसआई से जुड़े हुए नजर आ रहे हैं।
पांच महीने में पंजाब में दो बड़े आतंकी हमले
पंजाब के गुरदासपुर जिले के दीनानगर थाने और सरकारी बस में हुए आतंकी हमले ने पंजाब में 20 साल बाद एक बार फिर खालिस्तान आंदोलन को हवा दे दी है। रक्षा विशेषज्ञ कह रहे हैं कि पंजाब का ताजा आतंकी हमला खालिस्तान आंदोलन को दोबारा जिंदा करने की ISI की एक कवायद हो सकती है।
इस बारे में ऑल इंडिया एंटी टेररिस्ट फ्रंट के चेयरमैन एम एस बिट्टा ने नवोदय टाइम्स से खास बातचीत में कहा, अगर आंतकवादी को छोड़ा जाएगा, मेमन को फांसी से बचाया जाएगा, भुल्लर को केजरीवाल दिल्ली से पंजाब में शिफ्ट कर देंगे तो दंगे भड़केंगे। पाकिस्तान में जो खालिस्तानी बैठे हैं, उनपर पंजाब पर हमले का दबाव बनाया जा रहा है। उन्हें कहा जा रहा है कि पंजाब में 20 साल पहले जिस तरह का आतंकी हमला हुआ था, आज फिर एक बार वैसे ही आतंकी हमले की जरूरत है।
उन्होंने कहा, भारत आज भी आतंकवाद के लिए तैयार नहीं है। हमारे देश का सुरक्षा सिस्टम काफी नरम है और यह बात आंतकवादियों को भी पता है। इसके लिए जरूरी है कि हमारे देश के सुरक्षा सिस्टम को मजबूत बनाया जाए। गोली का जवाब गोली हो और सुरक्षा नीतियों में भी बदलाव की जरूरत है। इसके साथ ही इन नीतियों को सख्त भी बनाना होगा। जहां तक आज के हुए इस हमले की बात है उसपर उनका कहना है कि यह गलत हुआ और गोली का जवाब गोली होनी चाहिए और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी होनी चाहिए।
खालिस्तान आंदोलन को मिल रही है हवा (विशेषज्ञों की राय)
दरअसल, आज के हमले को देखकर विशेषज्ञ ये अंदेशा लगा रहे हैं कि एक बार फिर खालिस्तान आंदोलन तूल पकड़ने लगा है। राजनेताओं के बयान भी कुछ इसी ओर इशारा कर रहे हैं। उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करके कहा है, आतंकी जो खालिस्तान आंदोलन से जुड़े हैं वे पाक में भी बैठे हैं। इस हमले के आतंकियों का इरादा भी पंजाब में खालिस्तान आंदोलन को बढ़ावा देना है।
कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बजवा ने कहा, मुझे डर लगा रहा है कि ये जम्मू कश्मीर के आतंकी और खालिस्तानियों की मिली भगत है। ये लोग पंजाब में आतंकवाद फैलाने के लिए ट्रेनिंग ले रहे हैं।
साल 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को सेना ने खालिस्तानी आतंकियों के कब्जे से आजाद कराया था। सेना की इस कार्रवाई को ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ का नाम दिया गया था।
इस ऑपरेशन को लीड करने वाले रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल के.एस. बरार का कहना है कि गुरदासपुर में हुआ ये हमला खालिस्तान आंदोलन को फिर से उभारने की एक कोशिश हो सकता है। बरार ने इस हमले के लिए पंजाब सरकार और पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है।
इनके मुताबिक, इस हमले के लिए पंजाब सरकार और पाकिस्तान की इंटेलीजेंस एजेंसी ISI जिम्मेदार है। उन्होंने साफ कहा कि आईएसआई ही सिख आतंकवाद को दोबारा जिंदा करने की कोशिश कर रही है। वो खालिस्तान टेरर ग्रुप को हल्के में लेती है। पाकिस्तान की इंटेलीजेंस एजेंसी ISI खालिस्तानी टेरर ग्रुप्स को फिर से जिंदा करना चाहती है। ISI चाहती है कि पंजाब 1980 के हालात में दोबारा पहुंच जाए।
पूर्व गृह सचिव आर के सिंह ने कहा, ISI पंजाब में सिख आतंकवाद को जिंदा करने की कोशिश कर रही है। लेकिन ये पंजाब तो क्या देश को भी समझ नहीं आ रहा है।
क्या है खालिस्तान आंदोलन
साल 1980 के दशक में सिखों के लिए अलग खालिस्तान की मांग उठी थी और जरनैल सिंह भिंडरांवाले के नेतृत्व में खालिस्तान आंदोलन परवान पर चढ़ा था। पूरे पंजाब में आंतकवादी गतिविधियां चरम पर थीं। 1984 में स्वर्ण मंदिर से आतंकियों को हटाने के नाम पर सेना की कार्रवाई ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद खालिस्तान का आंदोलन और भड़का और आतंकियों ने 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या कर दी थी। जिसके बाद देश भर में भयानक दंगे फैले। खालिस्तान मतलब एक अलग राज्य की मांग, जिसमें धर्म के आधार पर लोगों को रहने की जगह मिलेगी। जिससे देश में और भी दंगे फैलेंगे।
ISI देती है खालिस्तानियों को फंड
कुछ समय पहले ये दावा किया गया था कि आईएसआई भारत और विदेश में बैठे खालिस्तानी ग्रुप को फंड मुहैया कराती है। हालांकि पाक ने इस बार से कई बार इंकार किया है। लेकिन एक बार फिर पंजाब में हुए ताजा हमलों को देखकर यही लग रहा है कि ये हमला पाकिस्तान आतंकियों ने किया है। खुफिया एजेंसी ने साफ कर दिया है कि ये आतंकी जम्मू के सीमा पर हमला करने के इरादे से आए थे।
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