मन भागता जरूर है, लेकिन जज्बातों से जुड़ा भी रहता है...

खुश रहने के लिए किसी वजह की जरूरत नहीं होती है। जीवन का असली रस तो खुश होने में है। खुशी के आगे कुछ सही या गलत नहीं होता।

जी हां कुछ ऐसी ही सोच और जिंदादिल मिजाज की हैं हमारी पद्मिनी यानी करुणा पांडे। जिंदगी में 30 नवंबर से शुरू होने वाले इंडियन सीरियल भागे रे मन की मुख्य किरदार करुणा पांडे ने सीरियल के लॉन्चिग के अवसर पर नवोदय टाइम्स से खास बातचीत की।
सीरियल में आपने 39 साल की लड़की का किरदार निभाया ? कितना मुश्किल रहा
हां मैंने सीरियल में 39 साल की लड़की का किरदार निभाया है। जबकि आजकल हर लड़की यंग रोल निभाना चाहती है। मुश्किल बिल्कुल भी नहीं हुई क्योंकि मैंने इस किरदार को जिया है। मैं अपनी असल जिंदगी में भी कहीं ना कहीं ऐसी हा हूं। जिंदगी से खुशिया चुराने का एक मौका नहीं छोड़ती। हर पल को जीने में यकीन रखती हूं भले कितने भी दुख आए। उम्र आपके जहन में होती है। आप जैसा महसूस करते हैं उतनी ही उम्र के बन जाते हैं।
एक औरत के लिए इस उम्र तक अकेले रहना कितना कठिन होता है
मुझे लगता है अगर आप किसी चीज में भी विकल्प ढूंढ लेते हैं तो आपको कभी अकेला नहीं लगता। हां जज्बात सबके अंदर होते हैं और वक्त के साथ साथ वे अपने अपने रूप ले लेते हैं, लेकिन उन्हें सही दिशा में बहते देना ये आपके हाथ में है। बहुत सारी औरतें हैं जिन्होंने आज भी शादी नहीं की, लेकिन इसका मतलब ये नहीं वे दुखी या तन्हा हैं। आप किसी भी एक मकसद को प्यार करें और जीवन की खुशी उसी में ढूंढ लें। लता जी ने भी तो संगीत को ही अपना जीवन समर्पित कर दिया। जीवन का संघर्ष ये नहीं कि आप चुप चाप सारे अत्याचार सहते रहें बल्कि आगे बढ़ें और अपने हक के लिए लड़ें।
अकेलापन जीवन के लिए कितना आवश्यक है
अकेलापन हर इंसान के जीवन का सच है। भले ही वो अपने परिवार में रहता हो, भीड़ के साथ मजे करता हो, पूरी दुनिया उसके साथ रहे, लेकिन कहीं ना कहीं किसी सूरत में वो अकेला रहता है। मैं मानती हूं कि पूरे दिन में उसे अपने साथ अकेले वक्त बिताना चाहिए। अपने जीवन में अपने लिए जगह ढूंढकर खुदसे बातें करनी चाहिए।
पद्मिनी कैसी लड़की है, अपने किरदार के बारे में कुछ बताएं
हर किसी लड़की में एक पद्मिनी रहती है, बसती है। पद्मिनी वो है जो अपनी शर्तों पर जिंदगी जीती है। कुछ भी गलत नहीं करती लेकिन सही गलत के बीच अपनी खुशियों को दांव पर भी नहीं लगाती। तमाम परेशानियों के बीच भी खुशी के पल ढूंढती है। जिंदादिल लड़की जो नदी की तरह बहती रहती है। एक जगह रुकती नहीं, लेकिन हां जब जिम्मेदारियों का एहसास होता है वो लौट आती है। रिश्तों को बांधकर रखने के लिए वो कुछ भी कर गुजरती है। ऐसी ही पद्मिनी।
भागे रे मन के क्या माइने हैं और आप क्या संदेश देना चाहती हैं
भागे रे मन का मतलब है मन जहां रुकता नहीं। बस भागता रहता है यहां से वहां। एक वक्त आता है जब पद्मिनी अपने शादी के मंडप से भाग जाती है, उसे लगता है कि ये वक्त शादी के लिए नहीं है। उसे कुछ करना है अपने सपने पूरे करने है। लेकिन भागते मन का मतलब ये नहीं कि वो अपने संस्कारों से भाग जाती है। मन और दिमाग को मिलाना मुश्किल जरूर होता है, लेकिन जब उसे एहसास होता है कि कई बार रुकना होता है, कई परिस्थितियां ऐसी आती है जब आपको भागते मन को बांधना होता है और ये वक्त के साथ होता जाता है। इसलिए 22 साल बाद अपनी गलती का एहसास करके पद्मिनी वापस आती है।
हम दर्शकों को यही बताना चाहते हैं कि भागते मन की परिभाषा कुछ ऐसी है कि मन डोलता है लेकिन अपनी जड़ों से कभी दूर नहीं जाता। अपने जज्बातों से, संस्कारों से और रिश्तों से हमेशा जुड़ा रहता है।

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट