Lockdown Day 2: जिंदगी बाकी है अभी, बस 5 मिनट कीजिए दुआ- Coronavirus
कोरोना पर सुबह से रात तक बहुत कुछ पढ़ती हूं, लिखती हूं, क्योंकि मैं पत्रकार हूं और कोरोना मुझे हाथ नहीं लगाएगा। मैं रोजाना कोरोनावायरस पर 10-20 जानकारियां,लेटेस्ट अपडेट्स पर वीडियो और खबरें बनाती हूं। शाम तक आकर कोरोना पर बात करने का दिल नहीं होता। फिर दूसरी सुबह शुरू होती है कोरोना से। मैंने कभी सोचा नहीं था, कोरोना से जिंदगी शुरू होगी और दिन कोरोना से खत्म होगा। मैंने क्या किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि ये दुश्मन घरों में घुस आएगा और खुद से ही डर लगने लगेगा।
ज्यादा लोगों से इंटरेक्शन नहीं हो रहा है, ना ही ऑफिस ना ही सड़कों पर, लेकिन जितने भी लोग मिलते हैं दिखते हैं, सब के चेहरे सहमे से हैं। हो सकता है वे रोजाना एक साहस इकट्ठा करने की कोशिश करते होंगे, लेकिन फिर भी हर कोई बस चुपचाप काम करता रहता है। किसी के पास कोई बात नहीं करने की, वैसे तो लोग बहुत बातें करते थे, अब हर कोई बस एक ही बात। या तो फिर चुप, एकांत। ऐसे जैसे अब पता नहीं जिंदगी कब पटरी पर लौटेगी, पता नहीं कब सब कुछ नॉर्मल होगा। उनके चेहरे पर कई सवाल दिखे।
ऑफिस स्टाफ कहता है मैम कल तक 4- लोग आते थे सफाई के लिए अब बस मैं रह गया हूं। सभी के अंदर ऐसा डर है जैसे क्या अब मेरी बारी है। नहीं ....ऐसा मत सोचिए। हम जैसा सोचेंगे वैसा ही होगा। मैं मानती हू, घर में बैठकर अच्छी बातें सोचना थोड़ा मुश्किल है, मैं आपको ज्ञान नहीं दूंगी, लेकिन सच में ये बात आपके लिए बहुत काम की है। हमें देखिए हम न घर जा सकते हैं, ना हमारा अपना घर है यहां और ऑफिस आना ही है। हम कहां जाए, किससे कहें। लेकिन हर दिन मुझे सुकून लगता है जब सोचती हूं कि मैं इस जंग का हिस्सा हूं और ये मेरे अपनों की जिंदगी के लिए एक लड़ाई है। पत्रकार अपनी जिम्मेदारी से डर नहीं सकता।
हम जैसे लोग जैसे सफाई वाले भैया, पुलिस वाले, सुरक्षा कर्मा, मीडिया कर्मी, गार्ड्स, डॉक्टर्स, स्टाफ, नर्स इन्हें देखकर जिंदगी की आने वाली रोशनी देख लीजिए...कोशिश तो कीजिए...जिंदगी बाकी है अभी...हम इसे बुझने नहीं देंगे..आप हमारे लिए 5 मिनट बस दुआ कीजिए..देखिएगा हमें आपको कुछ नहीं होगा...
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