Lockdown Day 4: दादी जानकी-सफेद साड़ी में फरिश्ता बनकर आई थी, तेरी मीठी मुस्कान याद आएगी
जिंदगी को आसान भाषा में समझाने वाली, जिंदगी जीने की कला सीखाने वाली, सफेद साड़ी में फरिश्ते का अवतार, आंखों में चमक, चेहरे पर मीठी मुस्कान लिए परमात्मा का संदेश देने वाली 104 वर्षीय दादी जानकी ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया। आध्यात्मिक संस्थान प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका दादी जानकी ने आज प्रात 2 बजे अंतिम सांस ली।
दादी सालों से 140 देशों में फैले अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक संस्थान का संचालन कर रही थी। लाखों लोगों की जिंदगी बदलने में दादी का बहुत बड़ा योगदान है। दादी केवल एक प्रशासिका ही नहीं थी, बल्कि मानवजाति का कल्याण करने वाली वो इंस्ट्रुमेंट थी जिसे भगवान ने अपना संदेश देने का माध्यम बनाया। दादी किसी के मां थीं, तो किसी की अच्छी दोस्त, किसी की बड़ी दीदी तो किसी के लिए पिता स्वरूप थीं।
दादी ने मुझ जैसी कितनी आत्माओं को प्यार करने की प्रेरणा दी। दादी के सहयोग,प्यार, सरलता और खुशी-शांति बांटने वाले व्यक्तित्व को हमें जिंदा रखना है। हम दादी जी के इस सफर और त्याग को सफल करेंगे, मानवता की खूब सेवा करेंगे और दादी जी के सफर को आगे ले चलेंगे। पूरे विश्व में कोरोनावायरस जैसी महामारी ने आतंक मचाया हुआ है, ऐसे समय पर दादी का जाना एक इशारा है, विनाश ही सृष्टि का आगाज है। हमें समझना होगा, वक्त बहुत कम है।
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