धन नहीं, सादगी ही जीवन का गहना है- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
सफेद साड़ी, चेहरे पर धीमी
सी मुस्कान, आदिवासी गांव से आईं एक आम सी महिला देश की प्रथम नागरिक
बनीं..राष्ट्रपति पद पर आसीन होकर उन्होंने ये तो साबित कर दिया कि इंसान अपने
विचार और कर्मों से बड़ा होता है नाकि अपने पद से..और किसी भी इंसान को ऊंचा उठाने
में सिर्फ शिक्षा ही काम नहीं आती बल्कि संस्कार और जीवन के मूल्य अधिक महत्व रखते
हैं. सादगी ही जीवन का गहना है और राष्ट्रपति इसकी मिसाल हैं. जितनी बार वे
ब्रह्माकुमारीज में गईं हैं, उतनी ही बार उन्होंने अपने अंदर बस रही एक आम सी
लेकिन सशक्त महिला की छवि से सभी को रू-ब-रू कराया है.
मीरा बाई, कस्तुरबा गांधी, गार्गी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इन महिलाओं ने त्याग, समपर्ण और सहयोग की भावना सिखाई है, ये आज की महिलाओं के लिए एक उदाहरण हैं. नारी सिर्फ अपने घर, समाज को ही आगे नहीं बढ़ाती है, वो देश को आगे बढ़ाने के लिए भी बहुत बड़ा योगदान देती है. बस जरूरत है तो उसे उच्च विचारों से देखने की और पुरुषों के सहयोग की, नारी के अंदर वो सारी शक्ति और गुण हैं जिससे वो भारत को विश्व पटल पर बिठा सकती है. जब जब महिलाओं को अवसर मिला है, उन्होंने पुरुषों से बेहतर प्रदर्शन किया है, सिर्फ शिक्षा में नहीं बल्कि हर क्षेत्र में एक मूल्यनिष्ठ समाज बनाने में वो सबसे आगे रही है.
President Full Speech
हमारे वेद-शास्त्रों में महिलाओं को बहुत दर्जा दिया गया है. अब मांओं को जरूरत है अपने बच्चों को जीवन के मूल्य सिखाने की. नारी के बलिदान को पहले भी देश ने याद रखा है और आगे भी रखेगा. अब वक्त आ गया है जब नारी को अपने आध्यात्मिक सशक्तिकरण पर जोर देना होगा.
ये 'देवी' की आवाज़ है...
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