#HappyBdayModiji : पीएम मोदी को अनदेखा करना आसान नहीं
आप उनके पक्ष में हो सकते हैं या धुर विरोधी हो सकते हैं, लेकिन उन्हें अनदेखा नहीं कर सकते हैं’ । ये जुमला नरेंद्र मोदी पर बिल्कुल सही बैठता है। मोदी देश के ऐसे राजनेताओं की श्रेणी में सबसे आगे आते हैं जिन्होंने जब भी जहां भी कदम रखा है समालोचनाएं ही मिली है।
‘लेकिन इन यातनाओं के बावजूद वे आज देश के प्रधानमंत्री हैं। विरोधियों की आंख का कांटा बने संघ के इस प्रचारक को कोई भी अनदेखा नहीं कर पाया। मोदी के विश्वास और जनता के अपार समर्थन ने ही उन्हें देश की गद्दी पर दोबारा बिठाया।
आज एक ऐसे शख्स का जन्मदिन है जो हमेशा आलोचनाओं से घिरे रहते हैं और जितनी उनकी आलोचनाएं होती हैं वे उतना ही उबरकर सामने आते हैं। जी हां, हम देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात कर रहे हैं। दो बार के कार्यकाल में उन्होंने वैसे तो कई औचक फैसले लिए हैं, लेकिन उनके 5 ऐसे फैसले थे जिसने भारत की दिशा और दशा दोनों बदल दी। वो फैसले कितने सही या गलत थे हम इसपर कोई टिप्पणी या चर्चा नहीं कर रहे हैं। बस आज उनके जन्मदिन पर उनके साहस- पराकाष्ठा पर एक नजर डाल रहे हैं। भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीवन यात्रा एक ऐसी असाधारण गाथा है जिसे जितना जानने की कोशिश करेंगे उसकी गहराई और बढ़ती जाएगी।
जीएसटी लागू
नोटबंदी लागू
तीन तलाक खारिज
कश्मीर से धारा 370 हटाना
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण
चाय बेचने से शुरू करके संघ के प्रचारक, गुजरात के मुख्यमंत्री से देश के प्रधानमंत्री बनने तक उन्हें तमाम लानत मलामत का सामना करना पड़ा है, लेकिन आंखों में चमक और दिल में देश के विकास के सपने लिए वे हमेशा चलते रहे, रुकने के बारे में कभी नहीं सोचा।
पीएम मोदी का जन्म एक असाधारण घटना
गुजरात के मेहसाणा के ऐतिहासिक वाडनगर शहर में पिछड़े ‘मोध घांची’ (तेली) समुदाय में जन्में मोदी का जन्म इतिहास के लिए एक असाधारण घटना है। संघ के प्रचारक और 1985 में बीजेपी में काम करने के लिए भेजे गए मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर अक्तूबर 2001 में काबिज होने से पहले तक पार्टी के ऐसे पदाधिकारी थे, जो पर्दे के पीछे काम करते थे और पार्टी के लिए रणनीति तैयार करते थे। बचपन से ही उनका झुकाव संघ के प्रति था। उन्होंने राजनीति शास्त्र में एमए किया और हमेशा संघ के कार्यविधियों से जुड़े रहते थे।
गौतम बुद्ध और स्वामी विवेकानंद के जीवन से सबक लेने वाले मोदी ने काफी युवावस्था में ही अपना घर छोड़ दिया था और एक प्रचारक के तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हो गए थे। काफी कम उम्र में वह अपने गांव के रेलवे स्टेशन पर, जहां उनके पिताजी की चाय की दुकान थी वहां काम शुरू कर दिया था और बाद में अहमदाबाद के बस अड्डे पर चाय बेचना शुरू कर दिया था।
दंगे और विवादों से पुराना नाता
मोदी जो भी करें जो भी कहें हर बात पर विरोधियों की नजर रहती है। मोदी ने जैसे ही गुजरात की सत्ता संभाली उसके कुछ महीनों बाद ही गुजरात में गोधरा रेल कांड हुआ, जिसमें कई हिंदु मारे गए। इसके बाद साल 2002 में गुजरात में दंगे भड़क गए। उस वक्त गुजरात में भड़के दंगे के छींटे आज भी मोदी के दामन पर लगे हैं।
उनपर दंगों के दौरान अकर्मण्य बने रहने का आरोप लगा था। लेकिन उस कांड की जांच के लिए बनी सभी जांच समितियों ने जांच के बाद उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। इनमें सुप्रीम कोर्ट की सीधी निगरानी में गठित विशेष जांच दल की रिपोर्ट भी शामिल है।
गुजरात में हुई फर्जी मुठभेड़ों के मुद्दे पर भी मोदी पर लगातार आरोप लगते रहे हैं और उनके करीबी सहयोगी अमित शाह ने तो हाल तक इन आरोपों का सामना किया है, लेकिन मोदी प्रतिकूलता परिस्थितियों को अवसरों में बदलने की कला को बखूबी जानते हैं। उन्होंने गुजरात में कुछ ऐसी विकास योजनाओं को अंजाम दिया, जिनके चलते उन्हें 2007 और 2012 में अपार जनसमर्थन मिला और वे फिर मुख्यमंत्री चुने गए।
जब उन्होंने देश की बागडोर संभालने की जिम्मेदारी मिली तब भी उन्हें हर कदम पर निंदा और विवादों का सामना करना पड़ा। सत्ता में आने से पहले और सत्ता में आने के बाद तक मोदी का जीवन मलामत से भरा रहा है। लेकिन मोदी ने इन समालोचनाओं में से अपने लिए विकास के रास्ते बनाए और खुद को साबित कर दिखाया।
साल 1984 में राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को इतनी बड़ी बहुमत मिली थी उसके बाद पहली बार बीजेपी सरकार ने साल 2014 में मोदी भाई के नेतृत्व में ऐतिहासिक जीत हासिल की। मोदी को विरोधियों ने जितना नीचे गिराने की कोशिश की वे उतना ही जनता के दिल में घर करते गए।
कभी अपनी योजनाओं के लिए तो कभी अपने सूट के लिए, कभी अपनी विदेश यात्राओं के लिए तो कभी अपने स्किल इंडिया के नारे के लिए वे हमेशा ही विवादों में घिरे रहे हैं।
विकास पुरूष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता में आए एक साल से ज्यादा हो गए हैं। कई राजनीतिक विशेषज्ञों ने उनके काम काज की समीक्षा कर उन्हें विकास पुरुष का खिताब भी दिया है। भले ही मोदी ने अब अपने सभी चुनावी वादों को अमली जामा नहीं पहनाया है, लेकिन उनकी शब्दों की ताकत और उनकी आंखों की चमक, दिल में विश्वास और विकास की सोच ने देश में क्रांति की एक लहर तो जरूर ला दी है।
एक नजर में मोदी का राजनीतिक सफर
· 1950 में जन्में और वर्षों तक संघ के प्रचारक रहे
· भाजपा से 1980 में जुड़े, कई जिम्मेदारियों के बाद 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने
· मोदी के सत्ता संभालने के चंद महीनों के भीतर गुजरात में 2002 में मुस्लिम विरोधी दंगे हुए
· दंगों में आधिकारिक तौर पर एक हजार लोग मारे गए
· दंगों के बाद मोदी ने 2002, 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव जीते
· राज्य में एक दशक से पार्टी और सरकार का चेहरा रहे मोदी केंद्र की ओर बढ़े
· साल 2013 में बीजेपी की बागडोर हाथ में लेकर आगे बढ़े
· साल 2014 में बीजेपी की ओर से पीएम पद के दावेदार बने
· साल 2014 में देश के 15वें प्रधानमंत्री बने
· साल 2019 में दोबारा देश के पीएम बने
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