#SidharthShukla : दिल को इतना बोझिल मत करो कि सांसे रुक जाए
एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला की हार्ट अटैक से मौत हुई है, लेकिन क्या ये वजह काफी है। इसके पीछे कई और सच भी हैं। स्मोकिंग, लाइफस्टाइल, शराब और जिंदगी में बेपनाह स्ट्रेस। ये सब उनकी मौत के कारण हैं। जो कहीं न कहीं आजकल डिप्रेशन की ओर धकेलते हैं। भागदौड़ और मुकाबले भरी इस जिंदगी में आगे बढ़ने और सफल होने की होड़ ने उन्हें इस मुकाम पर ला खड़ा किया। उन जैसे कितने यंग टैलेंट हैं जो इसी दल दल का शिकार हो रहे हैं लेकिन उन्हें अभी समझ नहीं आ रहा है। इस दो महीने के अंदर 6 से ज्यादा बड़े स्टार्स की मौत इसी दिल की बीमारी और स्ट्रेस की वजह से हुई है। दिल पर इतना बोझ रहेगा तो दिल हल्का कैसे रहेगा। लेकिन हम ये समझ नहीं पाते हैं।
आजकल मौत का कारण कोई बीमारी, एक्सीडेंट,
तूफान या कोई महामारी नहीं बनती। बल्कि एक एहसास जो जिंदगी को छीन
लेने में सक्षम हो रहा है। वो है डिप्रेशन। ये कोई
बीमारी नहीं है, ये हमारी सोच और मानसिक तनाव का एक भयावह
रुप है। जो हमपर इतना हावी हो जाता है कि हम खुदको खत्म करने को तैयार हो जाते
हैं। भारत में डिप्रेशन से मरने वालों की संख्या विश्व में सबसे ज्यादा है। साल 2005-2017
तक इस आंकड़े में 18 फीसदी की इजाफा हुआ है।
आपने कभी सोचा है आखिर क्यों हम ही अपनी जिंदगी खत्म करने में तुले रहते हैं। मुझे
पता है कहना आसान है, लेकिन मैं कह पा रही हूं क्योंकि मैंने
इसे झेला है। हर इंसान एक ना एकबार इस दौर से गुजरता है। हम सबमें ये बसता है। और
हमें ही इसे बाहर निकालना होता है।
सभ्यता, समाज
और विज्ञान की प्रगति के साथ-साथ लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में भी काफी बदलाव
आया है। इसके साथ ही लोगों की सोच, जीवनशैली में भी काफी
परिवर्तन हुआ है। अधिक सुख व आराम की तलाश में लोग मानसिक रोग का शिकार हो रहे
हैं। लोग जितने मॉडर्न व उन्नत हो रहे हैं, उनकी इच्छाओं व
उम्मीदों का दायरा उतना ही बढ़ता जा रहा है। वह धीरे-धीरे मेंटल डिसऑर्डर की ओर
अग्रसर हो रहे हैं और उन्हें इसका अहसास तक नहीं हो रहा है।
इसकी वजह से उनकी
रोजमर्रा की सहज और सीधी जिंदगी जटिल बन रही है। विश्व के 350 मिलियन लोग मानसिक रोक के शिकार हैं। उनके लिए मेंटल डिसआर्डर ही सबसे
बड़ी बीमारी के तौर पर खड़ी हो गई है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन द्वारा कराए गए
एक सर्वे के मुताबिक भारत और अमेरिका में सबसे ज्यादा डिप्रेशन और मेंटल इलनेस के
पीड़ित मिलेंगे।
सर्वे के मुताबिक प्रतिदिन 10 लोगों में से एक
लोग इस बीमारी का शिकार होते हैं। विश्व के 125 मिलियन लोग
मानसिक असंतुष्टि का शिकार हैं। अमेरिका में 24 फीसद लोग
मेंटल डिसऑर्डर का शिकार हैं, वहीं भारत के 14 फीसद लोग इस मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं।
सर्वे में बताया गया है कि वर्ष 2020 तक मेंटल डिसऑर्डर व मानसिक रोग सबसे बड़ी बीमारी के तौर पर सामने आ
जाएगा। इस बीमारी से ग्रसित होकर विश्व में पूरे दिन भर में 3 हजार से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं। 14 से 44
साल की उम्र के लोगों में यह ज्यादा देखने को मिलती हैं
क्या है मेंटल इलनेस?
मेंटल इलनेस कुछ भी नहीं बस मन की एक बीमारी है। जब
आपका मन अस्वस्थ रहता है तभी आप मेंटल डिसऑर्डर का शिकार होते हैं। नींद पूरी न
होना, दिन भर सोचते रहना, मानसिक
तनाव, आफिस व अपनी निजी जिंदगी में खींचतान, जीवन शैली में बदलाव, भाग दौर, दुख, फिलिंग आफ गिल्ट इन सबकी वजह से परेशानियां
बढ़ती हैं। धीरे-धीरे इन्सान आस्तमा, इनसोमनिया, आर्थाइटिस, डाइबिटिज इस तरह की बीमारियों का शिकार
हो जाता हैं।
भारत में पुरुषों से अधिक महिलाएं अवसादग्रस्त
भारत में पुरुषों से पचास फीसद महिलाएं इस बीमारी
से ग्रसित हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ के अनुसार भारत की महिलाएं रोज
किसी न किसी मानसिक तनाव से गुजरती हैं। घर से ऑफिस तक की आपाधापी उनकी जिंदगी को
असंतुलित कर देती है। क्योंकि महिलाएं भावनाओं से ज्यादा जुड़ी हुई रहती हैं, इसलिए उन्हें इन परेशानियों से जूझना पड़ता हैं। अगर ऐसा ही रहा तो वर्ष 2030
तक भारत मेंटल डिसआर्डर जैसी बीमारी का घरौंदा बन जाएगा।
मैं दीपिका नहीं हूं जिसे पूरी दुनिया की मदद और
सहानूभुति मिले, मैं आम लड़की हूं और मैंने अकेले इससे लड़ा है। मैं
एक विनर हूं। मैं हार नहीं सकती तो आप क्यों। आप ही अपने सबसे अच्छे दोस्त हो सकते
हैं। चलिए एक दूसरे से वादा करें और मेरा लिखना तभी सफल होगा जब एक भी इंसान खुदसे
दोस्ती कर पाएगा।
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