#CoronavirusImpact: किताबी नहीं,बच्चों को सिखाएं जिंदगी की पढ़ाई

बहुत हो गई किताबी पढ़ाई,अब अगर पढ़ाना है तो बच्चों को जीवन की पढ़ाई पढ़ाएं। जी हां जिंदगी के हालातों की पढ़ाई, हर परिस्थितियों में कैसे जीया जाए उसकी पढ़ाई। कब क्या हो जाए,आने वाली हर अनिश्चितता की पढ़ाई। कोरोनावायरस ने हमें जीने का अलग तरीका सीखा दिया है। मैं ये लेख अपनी सोच और अनुभव के आधार पर लिख रही हूं। दरअसल, मेरे घर पर चार छोटे बच्चे हैं जिनकी पढाई लगभग एक साल से कचड़े के डिब्बे में चली गई है। और अब जैसे ही थोड़ी सी उम्मीद की किरण दिखने लगी थी,अचानक कोरोना ने विकराल रूप धारण कर लिया है। सबसे बड़ी दुख की बात है कि उनके ही माता-पिता यानी मेरे चाचा चाची को कोरोना हो गया है। ऐसे में वे चार बच्चे समझ नहीं पा रहे हैं कि वे क्या करें, कैसे करें और क्या हो रहा है उनके साथ। 


जब मैंने उनसे कहा कि आप लोग घबराओ नहीं और पढ़ाई करो,अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो तो उन्होंने कहा कि हमसे नहीं होगा। ये सब पढ़ाई तो बेकार लगती है। हमें ये बताईए कि आखिर इस कोरोना से कैसे बचें, कैसे हम आम जिंदगी जिएं, कैसे हम खुश रहें, हम कब बाहर खेलने जाएंगे। हमें डर लग रहा है, कैसे हम इस डर को भगाएं। मैं आपसे पूछती हूं कि क्या हमारी किताबों में ऐसी कोई भी समझदारी भरी बातें हैं। क्या किताब पढ़कर हमने जिंदगी को जीना सिखा है, क्या हम जिंदगी की परिस्थितियों से लड़ना सिख पा रहे हैं? क्या हमारी किताबी पढ़ाई हमें जिंदगी के फलसफों के बारे में कुछ बता रही है। ये बच्चे अपने भविष्य के बारे में कोई भी कल्पना करने से डर रहे हैं। 

ये सिर्फ मेरे घर के बच्चे नहीं हैं बल्कि हर वो बच्चे हैं जो आज रोशनी की तलाश कर रहे हैं। कभी इंजीनियर, डाक्टर और न जाने क्या क्या बनने के सपने देख रहे थे, आज वे रूक से गए हैं। क्योंकि जिंदगी उन्हें कोई और पढ़ाई ही पढा रही है। इन्हें तो समझ ही नहीं आ रहा है कि आखिर हो क्या रहा है और आगे क्या होगा। तो क्या आपको नहीं लगता हमें इन बच्चों को मानसिक रूप से तैयार करना चाहिए। इन्हें ऐसी शिक्षा देनी चाहिए जिससे ये आने वाली हर परीक्षाओं का सामना कर सकें। केवल विज्ञान या मैथ्स की परीक्षाएं नहीं बल्कि जिंदगी की हर कसौटी ये पार कर पाएं 

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