'मैंने दिल से कहा ढूंढ लाना खुशी,ना समझ लाया गम तो ये गम ही सही'
जिंदगी को हमेशा मुस्कुराकर जिओ, क्या पता अगला पल हो ना हो, क्या पता जिंदगी और कितनी बाकी है। बिल्कुल, ये बात अभिनेता इरफान खान पर फिट बैठती है। पता ही नहीं चला और एक झटके में अभिनेता इरफान खान की सांसे थम गईं। ऐसे वक्त में जब लोगों की जिंदगियां वैसे ही रुकी हुई है, उनकी सांसे भी रुक गई। चंद रोज पहले उनकी मां का निधन हुआ था। इरफान का इस तरह से जाना एक इशारा भी है कि जो लोग जिंदगी जीते हैं और जमीन पर जीते हैं वे इसी तरह से खामोशी से बगैर कोई शोर किए चले जाते हैं। उनके जाने पर आवाज नहीं होती है। ये शख्स कुछ ऐसा ही था।
पूरी इंडस्ट्री में अगर कोई जमीनी आदमी था,जिसने अपने संघर्ष से अपना मुकाम हासिल किया था, जो चकाचौंध से दूर था वो था ये इंसान। अपने दर्द को इसी तरह से अपने सीने में छिपाए चला गया। पहले गरीबी और फिर करियर का संघर्ष और फिर बीमारी। जिंदगी बस इसीमें समेटकर रह गई। लेकिन चेहरे की मुस्कान कभी कम नहीं हुई। तमाम बेहतरीन फिल्म करने वाले इरफान का वो गाना, मैंने दिल से कहा ढूंढ लाना खुशी,ना समझ लाया गम तो ये गम ही सही। ये गाना उनके जीवन का आईना लगता है। हमेशा लीग से हटकर, अलग से किरदार और जिंदगी से जुड़ी भूमिका निभाने वाले इरफान एक बेहतरीन अभिनेता के साथ -साथ एक जिंदादिल इंसान भी थे।
साल 2015 में मैंने फिल्म तलवार के बाद इरफान का इंटरव्यू लिया था। काफी देर बातचीत के बाद इरफान कुछ ऐसी बात कह दी जिसने दिल छू लिया। इरफान ने कहा जिंदगी ने बहुत सताया है,लेकिन कोई शिकायत नहीं है, क्योंकि मैंने जो चाहा देर से ही लेकिन मिला है। एक बेहद ही सच्चे दिल के इंसान थे इरफान। ऐसे इंसान अपने साथ कुछ भी लेकर नहीं जाते ये बात आज साबित हो गई। उनके जनाजे में महज 20 लोग थे। कोई खर्च नहीं कोई भीड़ नहीं। बस चुनिंदा अपने लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। ऐसे होते हैं बड़े लोग, जो अपनी जिंदगी सफल करते हैं, जिनके जाने से दिल में दर्द होता है...खुदा भी उनके जाने से सदमे में है।
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