Lockdown Diary: क्या आपने 'रामायण' बस देखी है या राम-सीता के वनवास से कुछ सीखा भी है....
नमस्ते दोस्तों, लॉकडाउन के 32वें दिन आपसे फिर से बात करने आई हूं। मुझे मालूम है लंबा वक्त हो गया और आपको मेरे ब्लॉग इंतजार रहा होगा, लेकिन लॉकडाउन मेरे शारीरिक जीवन में भी लॉकडाउन लेकर आया। 25 दिन बिस्तर में रहने के बाद आज मैं लॉकडाउन फ्री महसूस कर रही हूं। क्योंकि आपके लिए काफी कुछ दिल में दबाकर रखा था। लॉकडाउन को आज 32 दिन हो गए हैं, यानी घरों में लॉक हुए हम सबको एक महीना हो गया है। दोस्तों पता भी नहीं चला है ना। कभी सोचा था एक महीना बगैर मॉल गए, मुवी देखे, रेस्टोरेंट में खाना खाए,दोस्तों से मिले, बगैर ड्रिंक और सुट्टा मारे हुए,अच्छे कपड़े पहने, शॉपिंग किए हुए हो गए ना। अब तो जैसे आदत सी बन गई है। लेकिन सच बताइएगा, क्या आप सच में खुश हैं, क्या आपने ऐसे जीना सीख लिया है?क्या आपको दिल से बोरियत नहीं आती है, क्या आप अब ऐसे रह सकते हैं?
जी हां, आज लॉकडाउन के 32वें दिन मैं आपसे यही पूछना चाहती हूं क्या आप इस जिंदगी से खुश हैं, क्या आप आने वाले कुछ महीने ऐसे और रह सकते हैं। मतलब बहुत साफ है, मैं बस ये जानना चाहती हूं कि हम रोजाना रामायण तो देख रहे हैं, लेकिन क्या राम -सीता के वनवास से हमने कुछ सीख ली है, नहीं बिल्कुल नहीं। अगर सीख ली होती तो हम आज खुश होते। हमसे त्याग, तपस्या और साधारण जीवन नहीं जिया जाता है। हमें अपनी जिंदगी में रोज रोमांच चाहिए, हम बगैर लग्जरी और आराम के जी कहां पाते हैं। राम-सीता ने 14 साल अपने पिता के वचनों का पालन करने के लिए अपना पूरा जीवन त्याग दिया, जंगलों में क्या था,ना खाना -पीना, ना ही ऐशो-आराम, ना कोई अपना साथ था। पूरा परिवार तो अयोध्या में था। फिर भी राम-सीता के चेहरे पर मुस्कुराहट बनी रहती थी, जीवन से दुखी नहीं थे वे लोग और रोजाना अपने सुखी जीवन के लिए भगवान का धन्यवाद करते थे। क्या हम कभी ऐसा करते हैं। उन्हें जंगल भी स्वर्ग लगता था क्योंकि वे लोग मन से शांत थे, मन में चैन और सुकून था,जितना मिला जैसे मिला बहुत था। लेकिन अपने आप से पुछिए क्या आप खुश हैं, क्या आप जैसा है जो है उसमें खुश हैं।
क्या आप साधारण जीवन नहीं जी सकते। क्या आप आराम का त्याग नहीं कर सकते। कितने लोगों को लॉकडाउन में खाना नहीं मिल रहा तो क्या आप एक वक्त का भोजन नहीं छोड़ सकते,क्या उनके जैसे आप खुदा से सब कुछ ठीक होने की दुआ नहीं मांग सकते, क्या आप बगैर एसी के नहीं सो सकते। देश यानी हमारी भारत मां की रक्षा के लिए आप एक क्या 2 महीने से ज्यादा का वनवास नहीं काट सकते। एक बार सोचकर देखिए और दिल से पूछिए.....क्या इस वनवास के लिए तैयार हैं, क्या आपके अंदर वो शक्ति है, वो सहनशीलता, समाने की शक्ति है।
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