RIP Irrfan Khan : 'मुझे जिंदगी से कोई शिकायत नहीं, जब जो सोचा वो मिला’

बातचीत के मुख्य अंश और कुछ यादें...
इंडस्ट्री में आपको दो दशक से ज्यादा हो गए हैं। क्या बदलाव देखते हैं?

सबसे खास बात तो यही है कि अब दर्शक बदल गए हैं। उन्होंने बदलाव की इच्छा की और सिनेमा को भी बदलना पड़ा। दर्शक अब अपने आस-पास की कहानी देखना चाहते हैं। नएपन की अनुभूति चाहते हैं। यही नहीं, वह यह सब उस भाषा में देखना चाहते हैं, जिसमें बोलते-बतियाते हैं। एक नया दर्शक वर्ग खड़ा हो गया है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
आप हॉलीवुड फिल्मों में भी लगातार काम कर रहे हैं। क्या फर्क पाते हैं?
हॉलीवुड निर्माता-निर्देशक कहानी पर जबर्दस्त ढंग से काम करते हैं। फिल्म बनाते समय बजट और कलेक्शन पर विचार नहीं करते, वह सोचते हैं कि आज से पांच साल बाद फिल्म की क्या स्थिति होगी, वह पांच साल में कितना कमाकर देगी, क्योंकि उससे ही उनकी स्थिति तय होगी। हमारे यहां की तरह नहीं है कि फिल्म रिलीज के साथ कलेक्शन पर बात खत्म हो जाए।
जिंदगी के उतार-चढ़ाव के बारे में आपका क्या कहना है?
मुझे लगता है कि जीवन आपको अपने हिसाब से ही देता है। हम जो भी सोचें, लेकिन लाइफ कुछ और ही सोचती है हमारे लिए। मुझे जिंदगी से कोई शिकायत नहीं है। मैंने जब जो भी सोचा है, जिंदगी ने मुझे हर बार वही दिया है।
फिल्म तलवार के रिस्पांस के बारे में क्या कहेंगे?
उम्मीद से ज्यादा रिस्पांस मिला है। मुझे फिल्म से बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं थीं, लेकिन फिल्म को बहुत अच्छा रिस्पांस मिला। लोगों ने इस फिल्म को खूब सराहा है। मैं खुश हूं कि लोग इस तरह के सबजेक्ट पर बनी फिल्मों को पसंद करते हैं।
आज के युवा वर्ग के टेस्ट के बारे में आपका क्या कहना है?
मुझे लगता है आज की युवा पीढ़ी बहुत ही चैलेंजिंग है। उन्हें भी समाज की सच्चाई से फर्क पड़ता है। वे फिल्मों को बस एंटरटेनमेंट के लिए नहीं देखते हैं, बल्कि व्यावसायिक चीजों को भी समझते हैं। ऐसा नहीं है कि आपने उन्हें कुछ भी दिखा दिया और सोचा कि उन्हें वो अच्छा लगेगा। वे सवाल-जवाब और तर्क के साथ चीजों को देखते और परखते हैं।
क्या थिएटर में लोगों की रुचि कम हो रही है, क्या कहेंगे इसके भविष्य पर?
हां, आपने सही कहा। थिएटर में लोगों की रुचि कम हो रही है। दरअसल, गलती उनकी नहीं है। हम उन्हें पहले जैसा थिएटर कहां परोस रहे हैं? पहले जैसी कहानियां कहां लिखी जा रही हैं? थिएटर करने वाले ज्यादा कलाकार नहीं हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि थिएटर अपना महत्व खो रहा है। थिएटर और थिएटर के कलाकार थे और हमेशा रहेंगे। किसी भी कलाकार का जन्म ही थिएटर से होता है। (फिल्म हासिल का जिक्र करते हुए) उस वक्त लोगों का टेस्ट वो नहीं था, उन्हें वो समझ नहीं आई, लेकिन आज की जेनरेशन उस फिल्म को गहराई से समझ पाएगी। हमें कई बार अच्छी कहानी और सही वक्त का इंतजार करना पड़ता है)।
क्या आप कभी राजनीति करेंगे?
नहीं, मैं कभी भी राजनीति नहीं करना चाहूंगा। मुझे लगता है मैं इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं हूं। हां, ये बात और है कि कभी किसी अच्छे काम के लिए अगर जरूरत पड़ी तो मैं राजनीति में उतर सकता हूं, लेकिन फिलहाल तो फिल्में ही करना चाहता हूं।
फिल्म जज्बा में सबसे चैलेंजिंग क्या रहा?
फिल्म में मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई है। एक ईमानदार पुलिस अफसर का किरदार निभाना आसान नहीं होता, लेकिन सच कहूं तो मुझे कोई दिक्कत नहीं आई। मैंने बहुत ही आराम से मजे से इस किरदार में खुद को ढाललिया। बस दिक्कत आई तो लोकेशन में। लोकेशन बहुत ही टफ होती थी। जब हम शूटिंग खत्म कर लेते थे तो बहुत खुश होते थे।
ऐश्वर्या के साथ काम करके आपको कैसा लगा?
मेरी नजर में ऐश सबसे खूबसूरत एक्ट्रेस हैं। मैंने अब तक जिस भी अभिनेत्री के साथ काम किया है, उनमें से ऐश्वर्या सबसे खूबसूरत हैं। उनकी पर्सनैलिटी सबसे जुदा है। एक बेहतरीन अदाकारा और एक अच्छी मां, वे दोनों ही रोल में परफेक्ट हैं। वह अपने सह-कलाकार को इतना कंफर्टेबल महसूस कराती हैं कि उनके साथ काम करने में किसी को कोई दिक्कत नहीं आती। वह बिल्कुल जमीन से जुड़ी हैं, जो लोग उन्हें जानते हैं, वे ऐसा कह सकते हैं।

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