Story behind the story
पत्रकारिता ऐसा प्रोफेशन है जो आपको हर कुछ के लिए वक्त देता है बस अपने लिए ही नहीं देता। मतलब समझे, मतलब ये कि आपको इस प्रोफेशन को 100 फीसदी देना है, थोड़ा मन यहां दिया थो़ड़ा बाहर नहीं चलेगा। आप पीछे रह जाएंगे। आपको हर वक्त सजग और अलर्ट रहना होगा। जीवन का आधा नहीं बल्कि 90 फीसदी हिस्सा वक्त इसमें ही देना होगा। कई बार मैं चूंक जाती हूं। सोचती हूं ठीक है कर लिया ना, बाकी चीजें भी हैं जीवन में। बस तुरंत एक भूल कर बैठती हूं। एक पल नहीं लगता एक चूक होने में। आपको सोचने समझने का या भूल सुधारने का वक्त नहीं मिलता। कर लिया जो कर लिया। कल नया सवेरा, नई स्टोरी, नई खबर नया दिन। लोग नए गाड़ी नई कैमरामैन नया। सब कुछ नया।
कल को लेकर बैठना या एक पल भी पुराने किसी बीती चीज पर सोचना, संभव ही नहीं है। बिंदी लगाओ और आगे बढ़ो। इसलिए पूरा वक्त इसको ही देना है। हर वक्त इसके बारे में सोचना है। इसको पढ़ना, खाना महसूस करना और इसमें ही जीना है। पत्रकारिता आपसे वक्त जरूर मांगता है। खैर हर प्रोफेशन वक्त मांगता है लेकिन इसमें अपने अलावा बाकी सब चीज बस पत्रकारिता। अगर एक गंभीर और संजीदा पत्रकारिता करनी है तो आगे बढ़ो और सब कुछ भूल जाओ। मैंने अनुभव किया है अगर थोड़ा कम पढते लिखते हैं तो नहीं चलेगा। काम नहीं बनेंगा।
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