बदलता कुछ भी नहीं...
बदलता कुछ भी नहीं, कई बार कहते हैं ना कि वक्त ने सब कुछ बदल दिया, वक्त के साथ-साथ बहुत कुछ बदल गया, लेकिन असल में ऐसा नहीं होता है। हम खुद चीजों को अपने हाथों से बदलते हैं। जब तक हम न चाहें कुछ नहीं बदलता। सच तो ये है कि हमें खुद चीजों को बदलना होता है और मुझे लगता है ये बेहतरीन अनुभव है।
हमें कई बार लगता है हालात बदल गए, लोग बदल गए, रिश्ते बदल गए जज्बात बदल गए। लेकिन असल में सब कुछ वैसा ही रहता है। बस आपका नजरिया बदल जाता है क्योंकि आप बदल रहे हो। आपने ही खुद को अपनी चीजों को बदलने का प्रयास किया है। सबसे बड़ी बात कि आप बदलना चाहते हैं, आप खुद अपने हालातों को बदलता हुआ देखना चाहते हैं और इसलिए इस बदलाव की कोशिश करते हैं।
हालांकि ये बदलाव कब और कैसे आ जाता है आपको पता भी नहीं चलता। बस बदल गया सब। एक दिन हम कह उठते हैं कि हां बदल गया सब। अब ये बदलाव कितना नकारात्मक है कितना सकारात्मक,इसपर अगर विचार करने बैठें तो एक अलग बहस छिड़ जाएगी। इस बदलाव को मुक्कमल करना जरा सा मुश्किल होता जरूर है। लेकिन धीरे-धीरे इसकी भी आदत हो जाती है। बदलाव अंत में अगर देखें तो अच्छा होता है और रिफ्रेश होता है। ये जैसा भी हो आपका होता है। बहुत नया और बेहतरीन अनुभव है बदलाव का। अपने नजरिए को जैसा रखेंगे हर चीज वैसी ही दिखेगी। नजरिया बदलें सब बदलेगा।
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