दर्द दिल से जुदा नहीं होते..

बेटियों पर हो रही हैवानियत से आज सभी सहमे हैं। दिल्ली गैंगरेप ने तो आधी आबादी को सदमें डाल दिया। दिल्ली गैंगरेप के बाद किसी शायर का ये कहना ठीक ही लगता है कि गोशे-गोशे में सुलगती है चिता तेरे लिये, जहर ही जहर है दुनिया की हवा तेरे लिये।
दिल्ली गैंगरेप पीड़िता की दर्द-ए-दास्तां..
मां मैं फिजियोथेरेपिस्ट बनकर लोगों का दर्द कम करना चाहती थी, लेकिन उन छह दरिंदों ने मुझे इतने दर्द दिए कि मैं किसी के दर्द को कम करने के लायक ही नहीं रही। मां मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रहा है। यह दर्द मैं और नहीं सह सकती। मां मेरी मदद करो, मेरी पुकार सुनो, मुझे जीना है, लेकिन इस दर्द के साथ मैं नहीं जी सकती।
यह पुकार 13 दिन तक दर्द से जूझती उस लड़की की है जिसने अपनी मां को एक कोरे कागज पर लिखकर अपने दर्द का एहसास बयां किया था। मां मेरे शरीर को इतनी बार काटा गया है, प्लीज डॉक्टरों को मना करो मेरे शरीर में और चीरे न लगाए।
मुझे एनेसथेसिया न दें, मुझे दर्द कम करने के लिए और पेन किलर्स न दें, इन पेन किलर्स से मेरे शरीर का दर्द तो कम हो जाएगा लेकिन मन पर लगे घाव का दर्द कैसे कम होगा। जैसे ही मेरी आंखें बंद होती हैं मुझे उस रात का वह दर्दनाक मंजर याद आ जाता है। जब कड़कड़ाती ठंड में उन दरिंदों ने मेरे शरीर को छलनी कर मुझे सड़क पर फेंक दिया था। कुछ लोग मुझे वहां पर खून से लथपथ देखकर भी निकल गए और कुछ तो महज देखते ही रहे।
मां मैं सोना चाहती हूं, कुछ वक्त के लिए नहीं बल्कि लंबे समय के लिए आपकी गोद में। लेकिन मेरी हालत ऐसी है कि मैं यहां से हिल भी नहीं सकती हूं। मैं और लड़ नहीं सकती। मुझे और दर्द मत दो, पहले ही उस दर्द को जिंदगी भर भूलना मुश्किल है। खुद को आइने में देखने के लिए कई जन्मों तक कवायद करनी होगी। मेरे दिल में बहुत दर्द है। उन जख्मों को कम करने का कोई रास्ता नहीं है।
दिल्ली गैंगरेप की शिकार लड़की के यह महज कुछ शब्द नहीं थे बल्कि उसकी पूरी जिंदगी की एक अनछुई कहानी थी। आज जब वह हमारे बीच से जुदा हो गई है तो भी उसके दर्द का अहसास इस नए साल में भी कम नहीं हो सका है। बीते साल का यह दर्द न सिर्फ उस लड़की के लिए बेहद बुरा रहा बल्कि हम सभी के लिए भी बेहद पीड़ादायक रहा।
आरोपियों को सजा दिलाने के लिए पुलिस के डंडे झेल रही उन लड़कियों के साथ पीड़िता का कोई रिश्ता नहीं है लेकिन उसकी पीड़ा इन सभी लोगों की आंखों में पानी ले आती है और मोमबत्ती थामे उन लोगों के हाथ उसकी जिंदगी और मौत के बीच बने इस फासले को महसूस कर कांपने लगते हैं। उनकी आंखे नम हो जाती हैं।
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