संगमा ने युवा कांग्रेस से की थी शुरुआत


राष्ट्रपति पद के लिए पूर्व वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी को चुनौती देने वाले में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा [पूर्ण ऐजिटक संगमा] ने अपने राजनीतिक सफर का आगाज कांग्रेस की युवा शाखा से किया, लेकिन बाद में वह विरोधी स्वर के चलते उन्हें राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के साथ जाना पड़ा। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में पीए संगमा गुरुवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे।

संगमा का परिचय

पूर्ण ऐजिटक संगमा पूर्व में वह मेघालय के मुख्यमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। संगमा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सह-संस्थापक हैं। वह आठ बार लोकसभा सदस्य भी रह चुके हैं।

वकील भी हैं संगमा

पी ए संगमा का जन्म 1 सितंबर, 1947 को पश्चिम गारो हिल्स, मेघालय के चपाथी ग्राम में हुआ था। शिलांग से स्नातक डिग्री प्राप्त करने के बाद पी.ए. संगमा ने असम के डिब्रुगढ़ विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय संबंध में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने एल.एल.बी. की परीक्षा भी उत्तीर्ण की।

संगमा का राजनीतिक सफर

वर्ष 1973 में पी.ए. संगमा प्रदेश युवा कांग्रेस समिति के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। कुछ समय बाद ही वह इस समिति के महासचिव नियुक्त किए गए। 1975 से 1980 तक पी.ए. संगमा प्रदेश कांग्रेस समिति के महासचिव रहे।

तुरा से पहली बार बने सांसद

वर्ष 1977 के लोकसभा चुनावों में पीए संगमा तुरा निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज करने के बाद पहली बार सांसद बने। चौदहवीं लोकसभा चुनावों तक वह इस पद पर लगातार जीतते रहे। हालांकि नौवीं लोकसभा में वह जीत दर्ज करने में असफल रहे।

बने सीएम और लोकसभा अध्यक्ष

वर्ष 1980-1988 तक पी.ए. संगमा केंद्रीय सरकार के अंतर्गत विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे। वर्ष 1988-1991 तक वह मेघालय के मुख्यमंत्री भी रहे। कांग्रेस में रहते हुए ही 1996 में वह दिन भी आया जब वह लोकसभा के अध्यक्ष के तौर पर चुने गए। उनकी बोलने का ढंग ही वहां मौजूद सांसदों के चेहरों पर मुस्कान ला देती थी।


कांग्रेस छोड़ थामा एनसीपी का हाथ

वर्ष 1999 में कांग्रेस से निष्कासित होने के बाद शरद पवार और तारिक अनवर के साथ मिलकर पी.ए. संगमा ने नेशनल कांग्रेस पार्टी की स्थापना की। शरद पवार के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी से नजदीकी बढ़ जाने के कारण पी.ए. संगमा ने अपनी पार्टी का ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पार्टी में विलय कर नेशनलिस्ट तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की। 10 अक्टूबर, 2005 को अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के सदस्य के तौर पर लोकसभा पद से इस्तीफा देने के बाद पी.ए.संगमा फरवरी 2006 में नेशनल कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि के तौर पर संसद पहुंचे। 2008 के मेघालय विधानसभा चुनावों में भाग लेने के लिए उन्होंने चौदहवीं लोकसभा से इस्तीफा दे दिया।

राष्ट्रपति पद के लिए छोड़ी पार्टी

राष्ट्रपति चुनाव में खड़े होने के लिए पीए संगमा नेशनल कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देना पड़ा। दरअसल पार्टी सुप्रीमो शरद यादव नहीं चाहते थे कि वह प्रणब दा को इस पद के लिए चुनौती दें। लिहाजा उन्होंने संगमा को ऐसा न करने की हिदायत भी दी थी। लेकिन अपने सपने सच करने के लिए उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देना ही उचित समझा।

एनडीए की मशक्कत

कड़ी मशक्कत के बाद एनडीए ने राष्ट्रपति पद के लिए पीए संगमा को अपने उम्मीदवार के रूप में घोषित किया। हालांकि संगमा के नाम पर एनडीए बंटा हुआ दिखाई दिया। जहां जदयू प्रणब को समर्थन देने के मूड में है वहीं भाजपा के ही अंदर प्रणब के नाम पर कुछ नेता खुलेआम उनके समर्थन का ऐलान कर चुके हैं।

संगमा पर पशोपेश में ममता

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भले ही संगमा के नाम का जिक्र किया होगा लेकिन अब तक संगमा उनके समर्थन का भी इंतजार कर रहे हैं।


पीएम संगमा - संक्षिप्त परिचय
संसद सदस्य - लोकसभा
1999-2008, 1996-1998,
1984-1988, 1980-1984,
1976-1980
लोक सभा अध्यक्ष - 25 मई, 1996 - 23 मार्च, 1998
सूचना और प्रसारण मंत्री - 1995-1996
श्रम और रोजगार मंत्री - फरवरी 1995 - सितंबर 1995
मेघालय के मुख्यमंत्री - 6 फरवरी, 1988 - 25 मार्च, 1990

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