Positive Life: जीवन को संघर्ष की तरह नहीं, सहयोग की नजर से देखें

जीवन को अक्सर हम एक संघर्ष की नजर ही देखते हैं, जब भी जीवन में कुछ भी उथल पुथल होती है, कोई समस्या, परेशानी या फिर संघर्ष आता है, तो हम बस इसे जीवन के संघर्ष से जोड़ देते हैं. हमें लगता है मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है, क्यों मुझे इतना झेलना पड़ता है. मेरा संघर्ष है कि खत्म होने का नाम ही नहीं लेता है. वगैरह वगैरह, लेकिन क्या कभी हमने ये सोचा है कि जीवन को अगर हम सहयोग की नजर से देखें तो कैसा होगा.

मतलब ये कि अगर आज से हम जीवन को सहयोग देना शुरू कर दें तो क्या जीवन हमारा सहयोग नहीं देगा. देगा, जीवन की हर मुश्किल और कठिनाई भी आसान होने लगेगी क्योंकि जीवन का साथ मिल गया. जीवन भी हंसकर कहेगा – तूम मुझे इतनी मदद कर रहे हो, मैं तुम्हें जो भी दे रहा हूं तुम हंसकर ले रहे हो, तो फिर मैं तुम्हारा साथ क्यों ना दूं. रिश्तों में भी यही बात लागू होती है कि अगर हम एक दूसरे से लड़ाई या तुलना ही करते रहें तो कभी कोई खुश नहीं रहेगा, अगर हम एक दूसरे को हाथ बढ़ाकर उनकी मुश्किलों में उन्हें सहयोग दें तो बहुत कुछ हो सकता है.

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