Health Alert: शरीर में काम करने वाले ये जरूरी हॉर्मोन्स, कम-ज्यादा रिलीज होने से होने वाली दिक्कतें

Different Hormones of Body:  क्या आपको पता है कि आपके शरीर में किन हॉर्मोन्स क्या भूमिका है, कौन से हॉर्मोन क्या काम करते हैं, किस हॉर्मोन के कम या ज्यादा होने से शरीर में क्या समस्याएं पैदा होती हैं. आज हम इस लेख में आपको वही बताएंगे.

ज्यादातर हॉर्मोन पिट्यूटरी ग्रंथि से ही रिलीज होते हैं. इस ग्रंथि का मुख्य कार्य कई हार्मोन का उत्पादन और रिलीज करना है जो महत्वपूर्ण शारीरिक कार्यों को पूरा करने में मदद करते हैं, जिनमें सबसे पहले शामिल है विकास (Growth Hormone)

काम- मेटाबॉलिज्म ठीक रखना, आपके शरीर के सार्विक विकास का ध्यान रखना

प्रोलेक्टिन (Proclactin Hormone) ये भी पिट्यूटरी ग्रंथि से रिलीज होता है. ये शरीर में दूध उत्पादन में मदद करता है. इसके ज्यादा रिलीज होने से इंफर्टिलिटी और कम उत्पादन से दूध में कमी आती है

ऑक्सिटॉसिन (Oxytocin Hormone)- ये हाइपोथेलेमस से रिलीज होता है. इसके ज्यादा रिलीज होने से लिंग निर्भरता होती है और कम होने से शरीर में दूध कम होता है

लूटेनाइजिंग (Luteinizing Hormone)ये ओवरिज और टेस्टेज को रेगुलेट करता है. ये भी पिटूयटरी ग्लैंड से रिलीज होता है .

काम- ये कम रिलीज होने से महिलाओं में ओव्यूलेशन नहीं होने देता और पुरुषों में टेस्टोटेरोन कम होता है

एल्डोस्टेरोन (Aldosterone Hormone)- ये एड्रेनल ग्लैंड्स से रिलीज होता है. इसका काम केए औ एनए को रेगुलेट करना है, इसके कम रिलीज होने से हाई बीपी और हाईपोकेलेमिया की शिकायत और ज्यादा रिलीज होने से लो बीपी, लेथार्जी होना, आलस और थकान होती है

एडीएच (ADH Hormone) - किडनी द्वारा पानी को छानना, ये हाइपोथेलेमस ग्रंथि से रिलीज होता है. इसके कम रिलीज होने से डायबिटीज की दिक्कत हो सकती है

ऑक्सिटॉसिन – (Oxytocin Hormone)- ये हाइपोथेलमस से से रिलीज होता है. इसका काम यूट्रस का ध्यान रखना होता है. इसके ज्यादा रिलीज होने से हार्डर कॉन्ट्रक्शन और कम रिलीज होने से साइकोलॉजिकल इफेक्ट्स दिखाई देते हैं

टीएसएच (TSH Horomone) – ये टी3 और टी4 के उत्पादन को रेगुलेट करने मदद करता है, ये भी पिटूयटरी ग्लैंड से रिलीज होता है. इसके ज्यादा रिलीज होने से हाईपोथाइरॉयड और कम रिलीज होने से हाइपर थाइरॉयड की दिक्कत होती है.

थाइरॉक्सिन-टी 4 (Thyroxine T4) ये मेटाबॉलिज्म सही रखने में मदद करता है. ये थाइरॉयड ग्लैंड से रिलीज होता है. इसके ज्यादा उत्पादन से हाइपरथाइरॉयडिज्म यानी मेटाबॉलिक रेट हाई हो जाता है और कम रिलीज होने से हाइपोथाइरॉयडिज्म यानी मेटाबॉलिक रेट कम हो जाता है.

केल्सिटॉनिन (Calcitonin Hormone)- सका काम लोअर ब्लड केल्शियम का है, ये थाइरॉयड ग्रंथि से रिलीज होता है. इसके ज्यादा रिलीज होने से हाइपरथाइरॉयडिज्म और कम रिलीज होने से हड्डियां कमजोर होती हैं.

ट्रायोडोथाइरोनिन (Triiodothyronine T3)- इसका काम मेटाबॉलिज्म को रेगुलेट करना है, थाइरॉयड ग्रंथि से ये हॉर्मोन रिलीज होता है.

एएनपी- (ANP Hormone) इसका काम लोअर बीपी और इलेक्ट्रोलाइल को रेगुलेट करना. ये हॉर्मोन हार्ट से रिलीज होता है.

प्रोजेस्टेरोन ( Progesterone Hormone) - ये यूटेराइन को स्टिमुलेट करता है. ये ओवरीज से रिलीज होता है, इसके ज्यादा रिलीज होने से साइकोलॉजिकल इफेक्ट्स दिखते हैं और कम रिलीज होने से अनरेगुलेटेड पीरियड्स होते हैं.

इंसुलिन- (Insulin Hormone) – ये ब्लड ग्लुकोज को लो करता है, ये पेनक्रियाज से रिलीज होता है. कम रिलीज होने से डायबिटीज और ज्यादा रिलीज होने से ब्लड ग्लुकोज कम होता है.

टेस्टोस्टेरोन (Testosterone Hormone) – स्पर्म उत्पादन और सेक्स के काम को सुचारू रूप से चलाने का, ये टेस्टेज से रिलीज होता है, इसके ज्यादा होने से साइकोलॉजिकल इफेक्ट्स दिखते हैं.

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