#BengalBurning: जीत के बाद भी ममता दीदी को चैन नहीं, कभी तो नम्र हो जाओ
एक ओर पूरे देश में मौत का तांडव चल रहा है और दूसरी ओर बंगाल में हिंसा का गंदा खेल। बंगाल में चुनाव हो और हिंसा ना हो..ऐसा आम तौर पर नहीं होता है। बचपन से यही सुनते आ रहे हैं और जबसे पत्रकारिता कर रही हूं तब से कुछ ज्यादा ही करीब से ये सब होते देख रही हूं। दरअसल, इस बार मामला उल्टा ही लग रहा था। जिस हिसाब से बंगाल में चुनाव के दौरान हिंसा होती है, इस बार तुलनामुलक कम हुई। हम सबको लगा जैसे चलो कुछ तो बदला। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है, ममता दीदी की सरकार आए या ना आए, चुनाव के दौरान ना सही लेकिन उसकी कमी रिजल्ट के बाद पूरी की जा रही है। हिंसा तो होकर रहेगी। देखिए बंगाल की ये जलती तस्वीरें।
वैसे तो बंगाल में राजनीतिक दलों के बीच संघर्ष और हिंसा की खबरें आम हैं। हर छोटी बातों पर बम बारी करना, पार्टी ऑफिस जला देना, हिंसा तो इनका जैसे जन्म सिद्ध अधिकार है। लेकिन जीत के बाद भी इनको चैन नहीं पड़ता। पूरा देश वैसे ही दर्द में है लेकिन इनको अपनी राजनीतिक हिंसा करनी ही है। पता नहीं क्यों दीदी को कभी भी शांति से कुछ करना क्यों नहीं आता। अब तो वो जीत गईं हैं ना, अगर जीत के बाद भी ये हाल है तो पता नहीं अगर हार जाती तो बंगाल को जला ही डालती क्या...? इन लोगों में नम्रता नाम की चीज नहीं है क्या।
अब तक चुनाव पर फोकस था तो इसलिए कोरोना गया भाड़ में, लेकिन अब तो जीत गईं हैं तो बंगाल में कोरोना के हाल पर तो ध्यान दे सकती हैं। छोटे छोटे जिलों के अस्पतालों में बेड नहीं हैं, वैक्सीन नहीं है। लेकिन दीदी जी व्यस्त हैं राजनीति में। कोलकाता के अस्पतालों में सिलेंडर नहीं है, यहां तक की इंजेक्शन तक नहीं है। लेकिन सच किसी को ना दिखाया जा रहा है और ना ही बताया जा रहा है। दिल्ली तो कैमरे पर दिख जाता है लेकिन बंगाल तो भैया..कोलकाता,सिलीगुड़ी इन दो शहरों में कोरोना के तीसरे म्यूटेंट का आलम बन रहा है। लेकिन दीदी जी चुप हैं...
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