#TuesdayThought हौसलों की उड़ान

मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उडान होती है...

ये कहावत हम सबने अब तक बस सुनी थी, लेकिन कोई ऐसा भी है जिसने इस बात को सच कर दिखाया है। जो अपने पंखों से नहीं लेकिन अपने हौसलों से उड़ान भर रही है। जो आसमान के वो सारे रंग देख रही है। पैर न होने के बावजूद वो अपने मन के पैरों से दुनिया घूम रही है। 

जी हां दोस्तों हमें अगर जरा सी भी चोट लग जाती है, या शरीर के किसी भी हिस्से में कोई जख्म होता है, कोई बीमारी लग जाती है तो हम खुदा को कोसने लगते हैं, अपनी काबिलियत पर सवाल उठाने लगते हैं। लेकिन किसी की जिंदगी ऐसी भी है जो खुद किसी के सहारे की मोहताज है, जो अपने पैरों से नाकाम है, शारीरिक रूप से अधूरी है। फिर भी उसे खुदा से शिकायत नहीं, उसे अपनी जिंदगी एक नेमत जैसी लगती है। सालों अपने पैरों से नाकाम होने के बाद भी वो जिंदादिली और जज्बे के साथ जी रही है। 

बंगाल के एक छोटे से गांव में रहने वाली बोबिता के बचपन से ही दोनों पैर नहीं हैं और अपने मन के पंखों से वो उड़ान भरती है। बचपन से आज तक बबिता किसी और के सहारे सारे काम करती है, स्कूल जाती है। पैर न होने क बावजूद वो कभी रुकी नहीं, थकी नहीं। आज वो क्लास 12 तक आ गई है। बबिता से जब बात हुई तो उसने कहा कि वो भी आम बच्चों की तरह सब कुछ करना चाहती थी, दुनिया देखना चाहती थी। लेकिन उसके लिए ये सब आसान नहीं था। फिर भी उसने कभी हार नहीं मानी। वो चलती रही और वो सब किया जो आम बच्चे करते हैं। मुझे पहले बहुत दुख होता था, लेकिन फिर धीरे धीरे मैंने अपनी कमी  को अपनी ताकत बनाया।

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Udaan Real Life Story-पैर नहीं लेकिन सीखा साहस से चलना

दूसरों बच्चों के मां-बाप की तरह बबिता के माता-पिता भी यही चाहते हैं कि बबिता जिंदगी में आगे बढ़े और कामयाब बने। बबिता की मां के आंखों में दर्द था लेकिन एक आत्मविश्वास भी था कि बबिता किसी से कम नहीं है। वो एक दिन उनका नाम रौशन करेगी।  

आज बबिता के पास कुदरत का दिया नहीं, लेकिन एक आर्टिफिशियल पैर है और वो उसके सहारे अपने सपनों को पूरा करने की कवायद कर रही है। बबिता के इस साहस और जज्बे को हमारा सलाम। 

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