#ThursdayThoughts-रुकने से डर नहीं लगता, साहस मिलता है
आंख में पानी रखो होंठों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो--
राहत इंदौरी की ये लाइनें जिंदगी के उतार-चढ़ाव पर खूब फिट बैठती हैं। जिंदगी में एक बार रुक जाने का मतलब ये नहीं होता कि हम हमेशा के लिए थम गए हैं, या जिंदगी की वो तलाश खत्म हो गई है। एकबार रुक कर ठहरकर खुदको समझना और अपने लक्ष्य को दोबारा से जानने में कोई बुराई नहीं है। ये रुकना आपको रोकता नहीं है बल्कि आपको अपने भीतर जाने का और साहस देता है। कई रास्तों की तलाश में जाने का मौका देता है। हम कई बार चलते चलते भूल जाते हैं कि हम किस यात्रा के लिए निकले थे लेकिन कहीं और जाकर अटक गए हैं। य़ा कई बार एक रास्ता बंद हो जाता है तो दूसरे के बारे में सोचने से भी घबराते हैं।
रुकने से डर भी बहुत लगता है और जब रुक जाते हैं तो लगता है फिर कभी चल नहीं पाएंगे। मन में कई सारे सवाल आते हैं कि क्या हम कभी फिर से उठकर खड़ें होंगे, क्या कभी फिर से उसी जोश के साथ जिंदगी में आगे बढ पाएंगे। जब एक रास्ता बंद होता है तो कई और रास्तें खुल जाते हैं। हमें अपने जीवन में एक नहीं बल्कि कई ऑल्टरनेटिव के बारे में भी सोचना चाहिए। कुछ वक्त रुकने से हम दूसरे रास्तों के बारे में भी सोच पाते हैं।
ये बातें मैं अपने अनुभवों से कह पा रही हूं। मैं इन दिनों एक नए सफर पर चलने की तैयारी कर रही हूं। कई बार डर बहुत लगता है कि क्या मैं पुराने सफर को भूल पाउंगी, क्या मैं नए सफर में एडजस्ट कर पाऊंगी। कहीं में हार गई तो क्या होगा। लेकिन नई दुनिया, नई चुनौतियां एक नए मुकाम पर ले जाएंगी इस बात पर मुझे पूरा निश्चय है। मुझमें कुछ नया करने की हिम्मत बची है इस बात का एहसास इस सैबेटिकल में ही हुआ है। तो इसलिए कहती हूं सैबेटिकल अच्छा है।
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