अपने जीवन को बनाओ अपना आईना
कई बार हम किसी और को देखकर अपने जीवन के फैसले लेने लगते हैं..हम अपने जीवन की रुपरेखा उनको देख कर तय कर लेते हैं...हालांकि ये हर व्यक्ति अलग अलग होता है..अपना अनुभव अपना होता है..किसी का भी जीवन आप से नहीं मिलता..हर किसी की जिंदगी उसके अपने अनुभव, कठिनाईयां, मुश्किलें,सुख दुख और अपनों से बनती है...ऐसे में आप कैसे अपने जीवन को उनहें देखकर तय कर सकते हैं..कई बार हमें दूर से लगता है जैसे अरे ये इंसान ऐसा नहीं था, या फिर ये अचानक ऐसा फैसला क्यों ले बैठा...या फिर उसकी राह को देखकर आप अपने आपको कंपेयर करने लगते हैं...जैसे एक उदाहरण है...वो और आप एक ही तरह की विचारधारा रखते हैं, फॉलो करते हैं, ऐसे में एक दिन अचानक आपने सुना कि वो इंसान बदल गया है...उसकी सोच और विचारधारा परिवर्तित हो गई है...आपको अजीब लगेगा..आप नहीं समझ पाएंगे कि वो गलत है या फिर आप...क्या आप जिस रास्ते पर चल रहे हैं वो सही नहीं है...शायद इसलिए उस इंसान ने राह बदल ली...लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए....हमें अपने फैसलों पर अडल रहना चाहिए..हम किसी और को देखकर अपना आत्मविश्वास कमजोर नहीं करना चाहिए..हम जिस राह पर चल रहे हैं, वो हमें पता होना चाहिए हम कहां जा रहे हैं..किसी और ने राह बदल ली,फैसले बदल लिए मतलब ये नहीं आपकी भी जिंदगी वैसी ही हो..इसलिए अपने जीवन को अपना ही आईना बनाओ...खुद को देखो और जीवन बनाओ..
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