और कब तक ...
पिछले तीन दिनों से सिर्फ रेप की खबरें लिख रही हूं..दिल्ली, हैदराबाद, रांची, राजस्थान, कोयंबटुर...कहीं बच्ची के साथ, कहीं महिला तो कहीं डॉक्टर..कहीं जवां लड़की..कहीं जिंदा जलाया, कहीं मार कर फेंक दिया तो कहीं जंगल में हत्या कर दी..7 साल पहले निर्भया गैंगरेप के बाद बहुत आवाज उठी, कहा गया कि अब ऐसा नही होगा..देश में लड़कियां सुरक्षित है..लेकिन 7 साल बाद फिर से निर्भया से भी ज्यादा निर्मम हाल...
लेकिन एक चीज जो शायद पहली बार हुई..वो है आज आरोपी की तस्वीर जारी की गई...हैदराबाद रेप कांड के दोषी की फोटो मीडिया में आई...जबकि हमेशा मुंह पर कपड़ा बांधकर कोर्ट में ले जाया जाता था..हम हमेशा यही कहती थी कि आखिर क्यों जो दोषी है उसका चेहरा छिपाते हैं..उसे तो खुले आम गला रेतकर मार डालना चाहिए..इनफैक्ट सरे आम सड़क पर पीड़िता को ही दोषी को काट डालना चाहिए...मैं बहुत क्र्यूल साउंड कर रही हूं...लेकिन मुझे अब रोजाना ये खबरें लिखते लिखते इमोशन खो गए हैं...क्या आपके साथ भी यही हो रहा है...या हम पत्रकार हैं इसलिए अंदर की औरत मर जाती है...और बस खबर की तरह ही इनसबको देखने लगते हैं..
एक वक्त था मैं हिल जाती थी.निर्भया गैंगरेप के दौरान दिल्ली की सड़कों पर खूब गुहार लगाई थी..इंसाफ के लिए पुलिस की लाठियां खाईं थी...रायसीना पर ....लेकिन अब 7 साल बाद कहीं कोई बदलाव नहीं दिख रहा है...हम जस के तस हैं...
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