...कुरान की इबादत और गीता से करते थे प्यार
एक शख्स जिसे अपने धर्म से नहीं, देश से प्यार था। जिसके लिए धर्म का मतलब किसी जाति को नहीं, देश को प्यार करना था। बड़े लोगों के लिए धर्म का मतलब नए रिश्ते और दोस्त बनाना होता है। लेकिन छोटे लोग धर्म को लड़ाई का हथियार बनाते हैं।
दरअसल, ये सोच हमारी नहीं है। ये सोच है देश के पूर्व राष्ट्रपति और जनता के मिसाइल मैन डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की। पक्के मुसलमान होने के बाद भी वे दिल से हिंदू थे। दरअसल, वे धर्म से परे थे। वे केवल देश के ही राष्ट्रपति नहीं थे, बल्कि जनता के राष्ट्रपति थे। ये देश के पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जो जात-पात से बहुत परे थे। इनके लिए मानवता का धर्म ही सबसे बड़ा था।
मुस्लिम होने के बाद भी उन्होंने गीता से प्यार किया। पक्के शाकाहारी थे कलाम। खुद को धर्म के आधार पर बांटना नहीं चाहते थे। लोगों को कुरान का ज्ञान बांटने वाले गीता भी पढ़ा करते थे। क्लासिकल संगीत वीणा के मोहक हुआ करते थे। तमिल कवि और दार्शनिक थिरूवलुवर के दर्शन से बहुत ज्यादा प्रभावित थे। जो खुद को कट्टर मुसमान मानते थे, कलाम उनके जैसे नहीं थे। वे दिल से मुसलमान थे।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें