गजलों और नज्मों से यादों में जिंदा रहेंगे जगजीत...

नई दिल्ली। चिट्ठी ना कोई संदेश जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गए.. हां ऐसा ही एक देश है, जहां अगर एक बार इन्सान चला जाता है तो वापस नहीं आता है। ऐसे ही एक देश चले गए हैं मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह। हमारा साथ छोड़े हुए उन्हें आज एक साल हो गया है। लेकिन वो कहते हैं ना कि इन्सान चला जाता है उसकी आवाज कानों में गूंजती रहती हैं, दिल में उसकी यादें और जहन में उसके नज्मों के अलफाज बसे रहते हैं। मखमली आवाज के मालिक जगजीत सिंह भी ऐसी ही एक शख्सियत हैं जिनकी आवाज आज भी युवा पीढ़ी के साथ-साथ हर पढ़ाव के लोगों के दिलों में राज करती है।
काफी दिनों तक बीमारी से जूझने के बाद पिछले साल 10 अक्टूबर को जगजीत सिंह दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन अपने पीछे छोड़ गए कुछ नज्में, कुछ अमर गजलें और कुछ यादें। जो आने वाली कई पीढि़यों के दिल पर राज करेंगी और साथ ही जिन्दा रखेंगी उस शख्स को जिसने गजल को रईसों की महफिल से निकाल कर हर आमो-खास के दिल में बसा दिया है।
इस महान गायक के निधन के साथ ही गजल गायकी के एक युग का भी अंत हो गया है। उन्होंने गजल गायकी को एक नया आयाम दिया था। उनकी आवाज में ऐसा जादू था कि लोग बरबस ही उनकी गजलों को सुनने के लिए मजबूर हो जाते थे। उन्होंने अगर प्यार मोहब्बत की नगमे गाई हैं तो उनकी गजलें जिंदगी से रूबरू भी कराती हैं। सजदा, मरासिम जैसे एलबम में उन्होंने जिस तरह से सादगी को संवारा हैं वह काबिले तारिफ है।
जगजीत जी की पहली गजल थी, 'सरकती जाए है रुख से नकाब आहिस्ता-आहिस्ता' और उनकी कुछ उम्दा गजलों में 'ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो', 'दुनिया जिसे कहते हैं, जादू का खिलौना है', तुमको देखा तो ये खयाल आया और 'बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी' आदि हैं जो संगीत प्रेमियों के दिलों में बसी हैं।
गजलों के अलावा जगजीत जी ने बॉलीवुड में पहला गाना बासु भट्टाचार्य की फिल्म 'आविष्कार' में गाया जिसके बोल थे, 'बाबुल मोरा नैहर छूटो जाए, इस गाने को वैसे तो कुंदन लाल सहगल ने गाया है लेकिन जगजीत जी और उनकी पत्नी चित्रा फिल्मों ने इस गाने को एक बार फिर आवाज दी। इसके बाद उन्होंने फिल्म अर्थ में यह गाना गया, तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो, क्या गम है जिसको छुपा रहे हो कैफी आजमी की लिखे गाने में उनकी बेटी शबाना ने ऐसी शानदार एक्टिंग की कि यह गाना एक मास्टरपीस बन गया।
इसके बाद बाद कई गजलों में जगजीत जी की मखमली आवाज सुनाई दी जिसमें होठों से छू लो तुम.., ये दौलत भी ले लो.., होशवालों को खबर क्या.., हजारों ख्वाहिशें ऐसी.., हाथ छूटे भी तो.., जैसी कुछ चुनिंदा गजलें भी शामिल हैं।
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