महंगाई-बेरोजगारी ने ली भारत की जान
नई दिल्ली। सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए भले ही कई बड़े फैसले किए हों, लेकिन वो बढ़ती महंगाई पर लगाम कसने और रोजगार पैदा करने में नाकाम रही है। नाकामी इस कदर है कि अब लोग महंगाई और बेरोजगारी के नाम पर खुदकुशी करने लगे हैं।
मैं अपनी जिंदगी से तंग आ चुका हूं इसलिए मर रहा हूं। इंसान करे तो क्या करे? न ही अच्छी नौकरी, न ही सुखी जीवन ऊपर से महंगाई इतनी कि जीना मुश्किल हो गया है इसलिए मैंने ऐसा किया है,..भारत तोमरÓ इन शब्दों के साथ ही एक युवा दुनिया से चला गया। 27 साल का भारत तोमर एक फैक्ट्री में काम करता था। भारत दिल्ली से सटे गाजियाबाद के लोनी में रहता था। सोमवार की शाम 4 बजे उसकी लाश फैक्ट्री के ही एक कमरे में पंखे से लटकी हुई मिली।
बताया जाता है कि सुबह भारत फैक्ट्री आया था लेकिन रहस्मय हालात में पंखे से झूलती उसकी लाश फैक्ट्री के ही एक कमरे से बरामद हुई। भारत की लाश के करीब ही एक सुसाइड नोट पड़ा था। इस सुसाइड नोट के मुताबिक भारत महंगाई से बहुत परेशान था, उसके पास अच्छी नौकरी भी नहीं थी, उसे बहुत कम तनख्वाह मिलती थी। ऊपर से सातवें आसमान पर महंगाई ने उसकी कमर तोड़ दी थी। सुसाइड नोट की मानें तो महंगाई ने उसका जीना मुहाल कर दिया था इसलिए उसने अपनी जिंदगी खत्म कर ली। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
उधर, दक्षिण मुंबई की फ्री प्रेस जर्नल रोड पर स्थित मनोरा विधायक हॉस्टल से 27 साल की एक युवती ने बेरोजगारी के चपेट में आकर खुदकुशी कर ली। कफ परेड पुलिस के मुताबिक मृतक रूपाली अंधारे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी [राकांपा] के विधायक बबनराव शिंदे के पीए दिलीप धाईगुंडे की भतीजी थी। अविवाहित रूपाली अपने भाई के साथ हॉस्टल में रहती थी। पड़ी लिखी होने के बावजूद रुपाली बेरोजगार थी इसलिए शायद उसने आत्महत्या कर ली। कमरे से रुपाली की लाश बरामद की गई। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
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