#AmitabhBachchan: रेखा-बिग बी का अनसुलझा रिश्ता

ये कितना अजीब इत्तेफाख है कि अमिताभ बच्चन और रेखा का जन्मदिन एक दिन के आगे पीछे आता है। इनका रिश्ता भी तो एक कसौटी से कम नहीं है। रेखा का बर्थडे 10 अक्टूबर को होता है और बिग बी का 11 अक्टूबर।

बॉलीवुड में रेखा, अमिताभ और जया बच्चन का रिश्ता काफी सालों तक चर्चा में रहा। तीनों के रिश्ते ने अपनी जिंदगी में काफी उतार चढ़ाव देखे हैं। इधर,अमिताभ-रेखा का प्यार का रिश्ता फिल्म सिलसिला से परवान पर चढ़ा और उधर जया अमिताभ के रिश्ते में दरारे दिखने लगी। अमिताभ रेखा के रिश्ते की वजह से रेखा और जया के बीच भी खटास बढ़ने लगी थी। लेकिन कहीं न कहीं आज भी दोनों का रिश्ता एक पहेली ही बना हुआ है। क्योंकि रेखा और जया कई बार मिले, कई बार सामने आएं, कई बार बिछड़े। कभी फिल्मी सफर के दौरान अलग हुए तो कभी राजनीतिक क्षेत्र में जाकर आमने सामने हुए। 

यह बात और है कि रेखा ने कभी भी अपने और अमित जी के रिश्ते की आंच जया के परिवार पर पड़ने नहीं दी। इसलिए जब ऐश्वर्या मां बनने वाली थी तो रेखा ने ऐश के लिए जमकर दुआएं मांगी। निजी जिंदगी में अमित जी एक अच्छे पिता और पति साबित हुए, फिल्मों में अपार सफलताएं मिली, लेकिन अकेली रह गई तो बस रेखा। बिग बी अपने पति होने का धर्म हर कदम पर निभाया। फिल्मी दुनिया में एक दूसरे से अलग होने के बाद रेखा और जया ने कभी ऐसा सोचा नहीं था की वह दोनों इस तरह से राजनीतिक सरगर्मी में एक साथ मिलेंगी। लेकिन ऐसा हुआ जब रेखा को राज्यसभा का सासंद मनोनित किया गया।

शपथ के दौरान रेखा के पास बैठने से बचने के लिए समाजवादी पार्टी से निर्वाचित जया बच्चन ने सदन में अपनी सीट बदलने का अनुरोध किया है। सपा सासद जया राज्यसभा में 91 नंबर सीट पर बैठती थी, जबकि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा सदन की सदस्य के रूप में मनोनीत रेखा को 99 नंबर सीट आवंटित की गई थी,जो जया के ठीक पीछे थी।

हल्का पीलापन लिए क्रीम कलर की साड़ी पहनकर आईं रेखा ने जब सदन में पिछले दरवाजे से कदम रखा तो अनेक जोड़ी निगाहें उनकी ओर घूम गईं। कईयों ने कनखियों से उन्हें देखा तो जया बच्चन पीठ फेरकर किसी तरह का अहसास मन में न होने का बहाना कर निगाहें इधर-उधर घुमाएं रखीं।

सभापति हामिद अंसारी ने शपथ ग्रहण के लिए रेखा का नाम पुकारा तो रेखा हौले कदमों से देश की संसद के ऊपरी सदन के गुंबद के ठीक बीचोंबीच चल पड़ीं। सदन को उन्होंने भरपूर निहारा तो दीवारों दर को गौर से पहचान लीजिए का नग्मा खामोश सदन में गूंजता महसूस हुआ। मैं रेखा गणेशन शपथ लेती हूं। रेखा ने भरपूर मिठास के साथ ये वाक्य उस पर्ची को पढ़ते हुए दोहरा दिए जिसे वह काफी देर से मुट्ठी में दबाए हुए थीं।

शपथ पूरी करने के बाद वह सभापति के आसन तक गईं और आदाब की मुद्रा में उन्होंने अंसारी का अभिवादन किया और उनके आसन के पीछे से घूमकर वापस सदन के बीचोंबीच आईं। दूसरा अभिवादन उन्होंने विपक्ष की बैंच पर बैठीं नजमा हेपतुल्ला को किया बीच में आकर वह रूकीं नहीं और उन सीटों की ओर भी उनकी नजरें नहीं गईं जहा जया बच्चन बैठी हुई थीं। इस तरह रेखा ने अपनी जिंदगी में एक नई पारी की शुरूआत कर ली।

अमिताभ के साथ सफलता और प्रेम के रिश्तों ने रेखा की जिंदगी को नई दिशा दी वहीं उनकी शादी किसी दुखद सपने से कम नहीं थी। कहा जाता था कि रेखा ने विनोद मेहरा से चोरी छुपे शादी कर ली थी मगर यह कोरी अफवाह थी बाद में 1990 में उन्होंने दिल्ली के मुकेश अग्रवाल नाम के बिजनेस मैन से शादी की मगर दोनों इस शादी से खुश नहीं रह सके और कुछ महीनों के भीतर ही मुकेश ने फासी लगाकर आत्महत्या कर ली। उन्होंने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा जिसमें अपनी मौत के लिए किसी को दोष न देने की बात कही।

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