Podcast Audio: Radio जैसा लेकिन रेडियो नहीं
क्या लौट आया है ऑडियो का दौर, गाने, कविताएं, कहानियां, किस्से, टिप्स, प्रेरणाएं और विचार सुनने का दौर। पॉडकास्ट जेड जनरेशन की पहली पसंद, रेडियो जैसा लेकिन रेडियो नहीं। जी हां इन दिनों पॉडकास्ट का बाजार काफी गर्म है, खासकर युवाओं की पहली पसंद टीवी, वेबसाइट या वीडियो नहीं बल्कि पॉडकास्ट बन गया है। दरअसल, शोर शराबे से दूर एकांत में कुछ सुनने का मजा ही और है, टीवी पर बहुत देख लिया शोर शराबा, डिबेट और सीरियल्स। इंस्टाग्राम पर बहुत बना लिए रील्स और फेसबुक पर बहुत कर लिए पोस्ट। अब इतिहास लौट आया है, एक वक्त था जब हर घर में 70-80s के गाने बजा करते थे, फिल्मी कहानियां, नाटक और भी बहुत कुछ रेडियो पर सुनाई देते थे, तकनीक बदली है, तरीका बदला है लेकिन सुनने का एहसास वही है। ऑडियो का दायरा अब बस गानों तक सीमित नहीं है, किस्से, कहानियां, मोटिवेशनल स्पीच, अच्छे विचार, शिक्षा, खाना, शोज, आध्यात्मिकता की बातें, इतिहास, स्वास्थ, लाइफस्टाइल टिप्स, फिटनेस बहुत कुछ एक ही थाली में परोसे जाना लगा है और वो भी बगैर शोर किए। वाह
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हालिया एक सर्वे बताता है कि जेड जनरेशन के 70 फीसदी लोग दूसरे किसी भी मीडिया के माध्यमों के मुकाबले पॉडकास्ट को ज्यादा पसंद करते हैं। ये एक बहुत ही बड़ी आबादी है, इस आबादी में साल 2010 में जन्म लेने वाले लोग शामिल हैं। हां ये बात और है कि इस वर्ग में ज्यादातर युवा हैं लेकिन आज का युवा काफी समझदार है, उसे आप टीवी पर चलने वाली डिबेट, सीरियल्स या फिल्मों से डाइवर्ट नहीं कर सकते हैं। उन्हें काम में आने वाला कॉन्टेंट चाहिए,
इसलिए वे पॉडकास्ट की ओर रुख कर रहे हैं, क्योंकि यहां हर कैटेगरी का कॉन्टेंट है, जिसे आप कहीं भी बैठकर शांत माहौल में अकेले सुन सकते हैं, अगर आपको किताब पढ़ने का मन नहीं है तो आप किताबों की ऑडियो सुन सकते हैं। ऐसा कहते हैं ना कि जो आप सुनते हैं वो आपके मन में घर कर जाता है। जेड जनरेशन को समाज का फ्यूचर बताते हैं और ये जनरेशन बाकी मीडिया को छोड़कर पॉडकास्ट को पसंद कर रही है, ये तो साफ है कि आने वाला समय पॉडकास्ट का है , मतलब इतिहास अपने आपको दोहरा रहा है, रेडियो का समय लौटकर आ रहा है, रेडियो जैसा लेकिन रेडियो नहीं
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