#Spirituality- आध्यात्मिकता अकेले की एक अंतर यात्रा है...

लंबे समय से आध्यात्मिकता का अध्ययन करते करते ये बात तो अब समझ आ ही गई है कि ये यात्रा अकेले की है, इस सफर में किसी का साथ गंवारा नहीं और कोई साथ दे भी नहीं सकता। जीवन की यात्रा में तो कई लोग मिलते और बिछड़ते हैं लेकिन आध्यात्मिकता का सफर एकांत का है, इसमें शोर और भीड़ नहीं होती, हर किसी की यात्रा अपनी अपनी है, जो अकेले इस सफर को तय करता है वो ही आत्मभूति का अनुभव भी कर पाता है. शुरू में हमें लगता है कि परिवार, दोस्तों ने हर जगह हमारा साथ दिया तो इसमें क्यों नहीं, लेकिन ऐसा हो नहीं सकता। अगर आप सबके साथ मिलकर इस सफर को तय करेंगे तो कहीं गुम हो जाएंगे, अपनी पहचान नहीं ढूंढ पाएंगे। इसका मतलब ये नहीं है कि आप सबसे अलग थलग हो जाएं, आध्यात्मिकता तो बस सबके साथ रहकर भी खुद में ही खो जाना सिखाती है। अपने अस्तिस्व की पहचान और नए सिरे जिंदगी को देखना सिखाती है। ये आपके अंतर की यात्रा है. 

 

Spirituality is a Soul Journey 

एक बात और है, हम जितना ही आध्यात्मिकता की गहराई में जाते जाते हैं उतना ही अपने आपको और अपने अंदर छिपी कमियों को पहचानने लगते हैं। अपने विकारों को, अपने अवगुणों को। लेकिन इससे घबराना नहीं है, ये वो मार्ग है जो सच का सामना करने की ताकत देता है, परमात्म प्रेम की अनुभूति कराता है, केवल अपने को नहीं दूसरों को प्रेम करना सिखाता है लेकिन ये मार्ग इतना सहज भी नहीं है। त्याग और तपस्या, साधना ही इस मार्ग के आधार हैं। इसलिए बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ना पड़ता है। जो पीछे छूट गया वो आपका नहीं था यहीं सोचकर आगे चलते जाना है, आध्यात्मिकता में नवीनता होनी चाहिए, हर दिन उमंग उत्साह के साथ जीना और फिर एक नई खोज पर निकल जाना, हर दिन एक नई सीख लेकर आता है। जैसे कि आज मैंने खुद को नए ढंग से जाना, कुछ नया किया। कई बार अकेले डर लगता है हार मिलती है, गिरते हैं लेकिन फिर से उठने की ताकत खुद से पैदा होती है, क्योंकि अंदर की आत्मा शक्तिशाली हो चुकी है। आध्यात्मिकता अंदर से आत्मा की जागृति कर उसकी शक्तियों की पहचान करवाती है, जिसकी मदद से आप इस सफर में कभी कमजोर नहीं पड़ते। 

https://anuprerna.blogspot.com/2023/11/podcast-audio-radio.html 

 

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

लोकप्रिय पोस्ट