जिंदगी इतनी कड़वी नहीं...
सुख के किस्से जल्दी खत्म हो जाते हैं और दुख की रातें कटती नहीं है..
हम जिंदगी के कड़वेपन में इतना खो जाते हैं कि भूल जाते हैं मिठास भी इन्हीं खट्टे पलों में है..लगातार संघर्षों से गुजरते गुजरते अंदर तक कुछ इस कदर टूट जाते हैं कि दोबारा जिंदा होने का दिल नहीं करता है..असल में जिंदगी जीने के लिए किसी रॉकेट साइंस की जरुरत नहीं,,.बस हल्के से जीवन को खेल की तरह खेलो और हर पल अनुभव करो..सब अच्छा लगेगा..हम लड़ते लड़ते अपने अंदर के उस मीठे इंसान को ही मार देते हैं जो हमें लड़ने की ताकत देता है..हमारी आस्था में जब कमी होने लगती है तभी जिंदगी कड़वी लगने लगती है,,,भले ही खुद पर आस्था,प्रकृति या खुदा पर आस्था, किसी पर भी पूर्ण विश्वास जिंदगी के अधूरेपन को दूर करता है..कम से कम जीवन के प्रति गहरी आस्था रखें..
जिंदगी भी कुछ ऐसी ही है..ये अनवरत एक ही तरह नहीं चलती है..ये रोजाना हर पल नए नए अनुभवों को खंगालती है..बस जरुरत है उन सभी एहसासों को हर पल महसूस करें...

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